उठ रहे हैं
फुटपाथ से लोग
जिनके घर नहीं हैं
सुबह होने से पहले
उनके लिए होता है भोर
गाड़ियों का शोर
थोड़ा बढ़ गया है
बढ़ गई है
चहलकदमियां
जीवन की
जो सोई थी देर से
लेकिन जग गई है जल्दी
होर्डिंग पर टंगी लड़की
ओस में नहाकर
अभी अभी उतरी है
और कूड़ा बीनने वाली लड़की
नहाईं नहीं कई दिनों से
अखबार वाला साइकिल हांकता है
जल्दी जल्दी
जितनी तेज़ी से चलती है छापे की मशीन
कहाँ कभी किसी ने बनाया उसे
पहले पन्ने का आदमी
जबकि पहला आदमी है वह
जो सूंघता है हर रोज़
स्याही की गंध , खबरों की शक्ल में
चाय की पहली खेप की गंध
दूर तक जाती है
और
एक चुप्पी छा जाती है
हमारे बीच
सुनने की कोशिश करते हैं
चिड़ियों के झुण्ड का समवेत स्वर
तभी
म्युनिस्पलिटी की गाड़ी
गड गड कर गुज़रती है
मरे हुए जानवर को लेकर
चुप्पी टूटती है
टूटता है बहुत कुछ
सुबह सुबह
कहाँ कभी किसी ने बनाया उसे
जवाब देंहटाएंपहले पन्ने का आदमी
जबकि पहला आदमी है वह
जो सूंघता है हर रोज़
स्याही की गंध , खबरों की शक्ल में
श्रम और सम्मान में विरोधाभास के प्रति संवेदना प्रदर्शित करती अच्छी रचना ।
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंशब्दों से बना एक चलचित्र
जवाब देंहटाएंआभार
सुबह सुबह' यह दो शब्द ही बहुत सुंदर चुने .....
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