मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

मसखरे कहलाते हैं

अपने आंसू रोक कर जो औरों को हंसाते हैं
मसखरे कहलाते हैं

सच का साथ देने का जो हौसला दिखाते हैं
कटघरे लाये जाते हैं
जो चलते हैं हाथ में मशाल लेकर
सिरफिरे कहलाते हैं
अपने आंसू रोक कर जो औरों को हंसाते हैं
मसखरे कहलाते हैं


हो गए हैं जो उम्रे दराज
ना उनके कोई सहारे रह जाते हैं
जो करते हैं इंसानियत की बात
जमाने गुजरे कहे जाते हैं
अपने आंसू रोक कर जो औरों को हंसाते हैं
मसखरे कहलाते हैं


बच्चों के साथ समय गुजारने का वक्त है नहीं
वे ही आदमी बड़े कहे जाते हैं
ओढ़े जो रहते हैं हंसी का नकाब
असली चेहरे समझे जाते हैं
अपने आंसू रोक कर जो औरों को हंसाते हैं
मसखरे कहलाते हैं


भीड़ है इस दुनिया में बहुत लेकिन
बहुत कम अपने कहे जाते हैं
हर हाल में जो रहे आपके पास वे ही
लोग प्यारे कहे जाते हैं
अपने आंसू रोक कर जो औरों को हंसाते हैं
मसखरे कहलाते हैं

6 टिप्‍पणियां:

  1. सच का साथ देने का जो हौसला दिखाते हैं
    कटघरे लाये जाते हैं
    जो चलते हैं हाथ में मशाल लेकर
    सिरफिरे कहलाते हैं
    अपने आंसू रोक कर जो औरों को हंसाते हैं
    मसखरे कहलाते हैं ......par kabhi unke liye socha,we muskaan kahan se late hain,dard ko kahan dafan karte hain @
    bahut hi badhiyaa

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  2. जो करते हैं इंसानियत की बात
    जमाने गुजरे कहे जाते हैं
    अपने आंसू रोक कर जो औरों को हंसाते हैं
    मसखरे कहलाते हैं
    apne aansoo rokkar jo auron ko hansate hai vahi sachche insan kahlane ke hakdar hai. anokhi rachna..... badhai.....

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  3. आपके ब्लॉग पर पहली बार आ पाई और वो भी देर से. माफ़ी चाहूंगी बाहर गयी थी सो देर हो गयी
    बहुत प्रभावशाली रचना सुंदर दिल को छूते शब्द .मनभावन,अद्भुत और हाँ आपकी पोस्ट पढने जो आते हैं उन्हें क्या कहेंगे सिरफिरे हा हा हा . . . . . .. ..

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