रविवार, 21 मार्च 2010

द्वन्द हूँ मैं

प्रकृति
और विज्ञानं के बीच
द्वन्द हूँ मैं

नदी के
दूसरे किनारे की भांति
इर्ष्या में जल रहा
तट हूँ मैं
द्वन्द हूँ मैं

बाज़ार में होने
और बाज़ार के होंने
में फर्क नहीं कर पाने के बीच
संघर्ष हूँ मैं
द्वन्द हूँ मैं।

तैर रही है
सैकड़ो छविया
और हर छवि की है
सैकड़ो कहानिया
हर कहानी का पात्र हूँ मैं
द्वन्द हूँ मैं।

अदृश्य और अनगिनत
कामनाओं और वासनाओ के
वृताकार जाल में
गुरुत्व विहीन हो विचर रहा
मात्र ए़क वस्तु हूँ मैं
द्वन्द हूँ मैं


महत्वाकांक्षा और
स्वप्न के बीच झूलता
अपने असंतुलित भार से
अदृश्य सूर्य का
परिक्रमा कर रहा
पृथ्वी हूँ मैं

द्वन्द हूँ मैं

13 टिप्‍पणियां:

  1. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ
    अच्छी संभावनाए देखता हूँ
    अच्छी रचना है
    ये लेने विशेष पसंद आयीं -

    बाज़ार में होने
    और बाज़ार के होंने
    में फर्क नहीं कर पाने के बीच
    संघर्ष हूँ मैं
    द्वन्द हूँ मैं।

    .... सुंदर रचना

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  2. मात्र ए़क वस्तु हूँ मैं
    द्वन्द हूँ मैं

    -कहीं न कहीं सभी की भावनाएँ समाहित हैं..बहुत बढ़िया रचना!!

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  3. सुन्दर रचना ,,,,बिल्कुल ठीक कहा अपने .

    VIKAS PANDEY

    WWW.VICHAROKADARPAN.BLOGSPOT.COM

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  4. aap dwand mein jeene ki adat dal lein,achchi sambhavnaein hainki kavita aapko kisi mode par gale laga lei.

    जवाब देंहटाएं
  5. तैर रही है
    सैकड़ो छविया
    और हर छवि की है
    सैकड़ो कहानिया
    हर कहानी का पात्र हूँ मैं
    द्वन्द हूँ मैं।
    behad sunder prayas hai dwand ko ukerne ka.

    जवाब देंहटाएं
  6. नदी के
    दूसरे किनारे की भांति
    इर्ष्या में जल रहा
    तट हूँ मैं
    द्वन्द हूँ मैं.......
    irshaya manushya ka ek sahaj bhav hai. iska positive rukh creativity ko janam deta hai. apka yah dwand posotive roop se nai kavitaao ko janam de.... shubhkamna.....

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  7. मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! इस उम्दा रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!
    मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!

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  8. तैर रही है
    सैकड़ो छविया
    और हर छवि की है
    सैकड़ो कहानिया
    हर कहानी का पात्र हूँ मैं
    द्वन्द हूँ मैं......
    aaj ke yug mein har aam vyakti isi dwand se lad raha hai lekin isse nikalne mein safal nahi ho paya yaa kahen ki nikalna hi nahin chahta... bahuto ke man ki baat kahi hai aapne.. sunder rachna......

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  9. सचमुच लाजवाव.
    बेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत गहरी बातें

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