हार्न के अविष्कारक के बारे में
नहीं जानते हुए भी
कहा जा सकता है कि
की गई होगी हार्न की खोज
समीप में दूर खड़े व्यक्ति को बुलाने,
किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए.
सदियों से अलग अलग काल खंड और अवसरों पर
भिन्न भिन्न नामों से जाना गया है इसे
सदियों से अलग अलग काल खंड और अवसरों पर
भिन्न भिन्न नामों से जाना गया है इसे
आज कल हार्न कहते हैं
हार्न के बजने का
होता है अलग अलग अर्थ
जैसे जब एक बस का ड्राईवर
बजाता है कनफोडू आवाज़ में जोरो से हार्न
बस स्टैंड पर खड़ी सवारियों में
मच जाती है होड़, शुरू हो जाती है
धक्का मुक्की
अवसरों को आकर्षित करने का चुम्बक
बन जाता है हार्न
इंजन की सीटी भी
एक तरह का हार्न ही है
जो प्रतीक बनी रही
जीवन की गति की सदियों तक
कुछ फैक्टरियों में
बजते हैं हार्न
साइरन के रूप में आज भी
जबकि आधुनिक कंपनियों में
स्वचालित पंचिंग मशीनो ने ले लिया है
साइरन का स्थान
जिनका बिना किसी शोर के भी
रहता है बहुत भय
वैसे होती तो हैं
साइकिल/रिक्शे की घंटियाँ भी हार्न ही
लेकिन असर बहुत कम होता है
न पैदल सवार देते हैं रास्ता
न सुनते हैं दुपहिया चारपहिया ही
बन जाता है हार्न
इंजन की सीटी भी
एक तरह का हार्न ही है
जो प्रतीक बनी रही
जीवन की गति की सदियों तक
कुछ फैक्टरियों में
बजते हैं हार्न
साइरन के रूप में आज भी
जबकि आधुनिक कंपनियों में
स्वचालित पंचिंग मशीनो ने ले लिया है
साइरन का स्थान
जिनका बिना किसी शोर के भी
रहता है बहुत भय
वैसे होती तो हैं
साइकिल/रिक्शे की घंटियाँ भी हार्न ही
लेकिन असर बहुत कम होता है
न पैदल सवार देते हैं रास्ता
न सुनते हैं दुपहिया चारपहिया ही
सर्वहारा हार्न कह सकते हैं इनको.
हो गए हैं हार्न
डिज़ाईनर
नक़ल करते हैं
नदियों की /झरनों की
बाघ की /सियार की
कोयल की /कौवे की भी
मुर्गे की बांग के स्वर भी आने लगे हैं
और आसानी से सुने जा सकते हैं
मोबाइल फ़ोन के रिंग टोंस में
आदमी को रखते हुए बैचैन
अस्पताल के एम्बुलेंस
और अति विशिष्ठ लोगों के काफिले के हार्न
होते हैं ध्वनि प्रभाव में लगभग एक जैसे ही
लेकिन प्राथमिकता में
मद्धम पड़ जाते हैं एम्बुलेंस
हाशिये पर खड़े आम जन की तरह
कुछ लोग
लगातार बजा रहे हैं हार्न
अलग अलग रंग के
अलग अलग रूप के
अलग अलग स्वर में
आदमी, जंगल, पहाड़, नदी झरनों को
करने के लिए विस्थापित
डर लगता है इन लुभावने हार्नो से
जबकि
कुछ प्रतिबद्धित लोग
बजा रहे हैं हार्न
जगाने के लिए
जागे हुए लोगो को
इस प्रयास में कुछ हार्न
शहीद कर दिए गए ख़ामोशी से
हो गए हैं हार्न
डिज़ाईनर
नक़ल करते हैं
नदियों की /झरनों की
बाघ की /सियार की
कोयल की /कौवे की भी
मुर्गे की बांग के स्वर भी आने लगे हैं
और आसानी से सुने जा सकते हैं
मोबाइल फ़ोन के रिंग टोंस में
आदमी को रखते हुए बैचैन
अस्पताल के एम्बुलेंस
और अति विशिष्ठ लोगों के काफिले के हार्न
होते हैं ध्वनि प्रभाव में लगभग एक जैसे ही
लेकिन प्राथमिकता में
मद्धम पड़ जाते हैं एम्बुलेंस
हाशिये पर खड़े आम जन की तरह
कुछ लोग
लगातार बजा रहे हैं हार्न
अलग अलग रंग के
अलग अलग रूप के
अलग अलग स्वर में
आदमी, जंगल, पहाड़, नदी झरनों को
करने के लिए विस्थापित
डर लगता है इन लुभावने हार्नो से
जबकि
कुछ प्रतिबद्धित लोग
बजा रहे हैं हार्न
जगाने के लिए
जागे हुए लोगो को
इस प्रयास में कुछ हार्न
शहीद कर दिए गए ख़ामोशी से
खामोशी की भी दहाड़ होती है.
जवाब देंहटाएंपूरी कविता के बारे में मैं कुछ नहीं कहूँगा किन्तु यह पंच लाइन बहुत ही मारक बन पड़ा है,
जवाब देंहटाएंअस्पताल के एम्बुलेंस
और अति विशिष्ठ लोगों के काफिले के हार्न
होते हैं ध्वनि प्रभाव में लगभग एक जैसे ही
लेकिन प्राथमिकता में
मद्धम पड़ जाते हैं एम्बुलेंस
हाशिये पर खड़े आम जन की तरह
धन्यवाद !!
जबकि
जवाब देंहटाएंकुछ प्रतिबद्धित लोग
बजा रहे हैं हार्न
जगाने के लिए
जागे हुए लोगो को
इस प्रयास में कुछ हार्न
शहीद कर दिए गए ख़ामोशी से
आपका सन्देश समझ आ गया .....हम जानते हैं कि प्रत्येक चीज की सार्थकता और निरर्थकता व्यक्ति पर और हमारी सोच पर निर्भर करती है ...आपने जितना सामान्य विषय चुना उतना ही संजीदा कविता के माध्यम से उसे महत्वपूर्ण बना दिया ......आपका आभार इस हार्न को बजाने के लिए हम जाग गए जी ..शुक्रिया
अब क्या कहूँ ?????
जवाब देंहटाएंनिशब्द हूँ....
साईकिल की घंटी .. सर्वहारा हार्न
जवाब देंहटाएंक्या खूब
और फिर
"कुछ प्रतिबद्धित लोग
बजा रहे हैं हार्न
जगाने के लिए
जागे हुए लोगो को
इस प्रयास में कुछ हार्न
शहीद कर दिए गए ख़ामोशी से"
जागे हुए को जगाने के लिये हार्न ..
और शहीद होते हार्न की अवधारणा अद्भुत
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
जवाब देंहटाएंहार्न पर लिखी ऐसी अनूठी रचना पहली बार पढ़ रहा हूँ...कमाल किया है आपने...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
बेहतरीन सोच और लेखन का परिचायक है ये कविता…………।बेहद उम्दा।
जवाब देंहटाएंआदरणीय अरुण रॉय जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
......आपका सन्देश समझ आ गया
हार्न बजाने की कतार में हम भी शामिल है
हार्न का सार्थक विवेचन।
जवाब देंहटाएं... kyaa kahane ... behatreen rachanaa !!
जवाब देंहटाएंअरुण जी एक जगह आप चूक गए वो बैक हार्न और उसका विचलित करता संगीत उसे भी शोभायमान कर देते. वैसे बहुत ही अच्छी व्याख्या और विवेचना
जवाब देंहटाएंवे जो बजा रहे थे वो हॉर्न नहीं था अरूण बाबू! उन्हें, जैसा कि आपने विभिन्न हॉर्न के नाम और प्रकार बताए, प्रचलित भाषा में तूती कहते हैं जो बाकी सारे हॉर्न की आवाज़ों में(जो इस नक्कारख़ाने में बज रही है) दबकर कब की शहीद हो चुकी है!!
जवाब देंहटाएंhahahaha...acchi janch padtaal kar daali aapnew to horn kee duniya kee ..... acchi post hai ...
जवाब देंहटाएंजबकि
जवाब देंहटाएंकुछ प्रतिबद्धित लोग
बजा रहे हैं हार्न
जगाने के लिए
जागे हुए लोगो को
इस प्रयास में कुछ हार्न
शहीद कर दिए गए ख़ामोशी से ....
इन बेहतरीन पंक्तियों ने निःशब्द कर दिया।
.
अरुण जी ,
जवाब देंहटाएंहार्न जैसे विषय पर इतनी शानदार कविता .....?
एक साधारण कवि नहीं कर सकता .....!!
.
जवाब देंहटाएंअरुण जी आपके 'हार्न' ने समाज के विभिन्न वर्गों की मानसिकताओं का स्वर तेज़ करके सुना दिया.
कमाल का है आपका यह आधुनिक हार्न.
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