प्रिये !
लिखते हुए
साल की अंतिम कविता
याद आए मुझे लिखते हुए
साल की अंतिम कविता
कुछ भयावह स्वप्न
जिन्हें शब्द देना नहीं है वश में
लग रहा है
मानो किसी प्रार्थनाघर में हूँ
मेरे चारों ओर हो रहे हैं धमाके
मेरे चारों ओर हो रहे हैं धमाके
चीख और उसकी ख़ामोशी की सिसकियों के बीच
लहुलुहान देख रहा हूं
कुछ अजीब से चेहरे जिनकी हंसी
लिपटी है तरह-तरह के झंडों में
पृथ्वी जोरों से घूम रही है
अपने अक्ष पर,
गति के ताप से
पिघलती हुई धरती
बहाए जा रही है गति के ताप से
पिघलती हुई धरती
शीशे सा चमकता
अपना लावा कानों में
सोचता हूं
क्या बदलेगा इस विश्व में
मेरे कुछ असहाय कमजोर शब्दों से
जब गिरवी रखे जा रहे हैं ताकतवर शब्द
सोचता हूं
क्या बदलेगा इस विश्व में
मेरे कुछ असहाय कमजोर शब्दों से
जब गिरवी रखे जा रहे हैं ताकतवर शब्द
महज हस्ताक्षरों के द्वारा
जनहित के नाम पर
जनहित के नाम पर
जिनके नाम पर
हो रही हैं घोषणाएं
वे नजर आ रहे हैं
हो रही हैं घोषणाएं
वे नजर आ रहे हैं
सलाखों के पीछे.
उन चेहरों में एक चेहरा कुछ जाना पहचाना है
शायद तुम हो
शायद मैं स्वयं हूं
प्रार्थना में उठ गए हैं हाथ
छोड़ कर कलम
शायद मैं स्वयं हूं
शायद.....।
प्रार्थना में उठ गए हैं हाथ
छोड़ कर कलम
सोचता हूं हाथ कब
परिवर्तित होंगे मुट्ठियों में
लिखते हुए साल की अंतिम कविता .
ईश्वर आपकी दुआ कबूल करे यही दुआ है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और एक अलग दृष्टिकोण को दर्शाती रचना।
नव वर्ष मंगलमय हो।
kash aapke saal ki antim kavita me aapke prarthan ke liye uthe hue haath jarur kuchh khushi la payen....naye saal ke liye...:)
जवाब देंहटाएंkya khub likhte ho sir...:)
happpy new year...
वाह क्या लिखा है सर जी...
जवाब देंहटाएंआने वाला साल आपके लिए नयी खुशियाँ और नयी उमंग लाये बस यही कामना करता हूँ...
आमीन.
जवाब देंहटाएंअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को भी सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
नव वर्ष 2011
जवाब देंहटाएंआपके एवं आपके परिवार के लिए
सुखकर, समृद्धिशाली एवं
मंगलकारी हो...
।।शुभकामनाएं।।
सोचता हूं
जवाब देंहटाएंक्या बदलेगा इस विश्व में
मेरे कुछ असहाय कमजोर शब्दों से
जब गिरवी रखे जा रहे हैं ताकतवर शब्द
महज हस्ताक्षरों के द्वारा
जनहित के नाम पर
साल की अंतिम कविता ...... इतनी प्रभावी और सशक्त है कि आपके शब्द अपनी ताकत का प्रमाण दे रहें हैं . हृदयग्राही रचना .आपको नव वर्ष की शुभकामनायें
नये वर्ष भी आप ऐसा ही उत्कृष्ट लिखते रहें।
जवाब देंहटाएंआशा है नया साल आपके जीवन में बहुत सारी खुशियाँ लेकर आएगा ...हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरक प्रस्तुति ...हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंyatra jari rakhiye sir..aur bhi rehbar nav varsh mein judengen...meri bhi yahi shubhkamna hai!
जवाब देंहटाएंमुझे दुआओं पर कभी भरोसा नहीं रहा ,लेकिन संकल्प अवश्य असरदार होते हैं,,,,, प्रार्थना में उठ गए हैं हाथ
जवाब देंहटाएंछोड़ कर कलम
सोचता हूं हाथ कब
परिवर्तित होंगे मुट्ठियों में
लिखते हुए साल की अंतिम कविता .
बहुत प्रेरक प्रस्तुति ...हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंनव-वर्ष की शुभकामनाएँ आपको और आपके परिवार को
जवाब देंहटाएंनए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!
जवाब देंहटाएंमार्मिक चित्रण ...
जवाब देंहटाएंनया साल शुभ हो
साल की अंतिम कविता, दुष्यंत जी की बात को विस्तार दे रही है... एक मशाल तो जलाई है आपकी कविता ने..अब तो कह सकते हैं कि
जवाब देंहटाएंहो चुकी है पीर परबत सी पिघलनी चाहिये
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिये.
सर्वस्तरतु दुर्गाणि सर्वो भद्राणि पश्यतु।
जवाब देंहटाएंसर्वः कामानवाप्नोतु सर्वः सर्वत्र नन्दतु॥
सब लोग कठिनाइयों को पार करें। सब लोग कल्याण को देखें। सब लोग अपनी इच्छित वस्तुओं को प्राप्त करें। सब लोग सर्वत्र आनन्दित हों
सर्वSपि सुखिनः संतु सर्वे संतु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्॥
सभी सुखी हों। सब नीरोग हों। सब मंगलों का दर्शन करें। कोई भी दुखी न हो।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं!
सदाचार - मंगलकामना!
... bahut sundar !
जवाब देंहटाएंनया साल शुभा-शुभ हो, खुशियों से लबा-लब हो
न हो तेरा, न हो मेरा, जो हो वो हम सबका हो !!
गहरा सोच लिए कविता |बधाई |
जवाब देंहटाएंनववर्ष शुभ और मंगलमय हो |
आशा
नये वर्ष में इंटरनेट से इंट्रेस्टिंग प्रवेश
जवाब देंहटाएंपेट्रोल पानी मिट्टी का तेल बचायेगा
जो आयेगा ग्यारह में आशीष भरपूर पायेगा
यह इंटरनेट है प्यारे
सदा ही यूं गुदगुदायेगा
10 का 11
11 का 111
सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
जवाब देंहटाएंयह हमारी आकाशगंगा है,
सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
उनमें से एक है पृथ्वी,
जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...
जय हिंद...
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति.... आभार..... नए साल की शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंसोचता हूं
जवाब देंहटाएंक्या बदलेगा इस विश्व में
मेरे कुछ असहाय कमजोर शब्दों से
जब गिरवी रखे जा रहे हैं ताकतवर शब्द
महज हस्ताक्षरों के द्वारा
जनहित के नाम पर
वाह, अरुण जी, वाह...
बहुत ही सशक्त पंक्तियां लिखी हैं आपने।
......
नव-वर्ष मंगलमय हो।
सोचता हूं
जवाब देंहटाएंक्या बदलेगा इस विश्व में
मेरे कुछ असहाय कमजोर शब्दों से
जब गिरवी रखे जा रहे हैं ताकतवर शब्द
महज हस्ताक्षरों के द्वारा
जनहित के नाम पर... जिन्हें हम असहाय समझते हैं , वे शब्द हों या आदमी- वे ही कुछ कर दिखाते हैं
aapne jsi bhayawah swapn ka ziqr kiya hai ..apni kavita men maine uski detailing kee hai ...lekin ek sambhavna ke taur par... saal kee antim kavita likhte hue aapne bahut mahatvpoorn muddon kee taraf dhyan dilaya hai .... achhi kavita...
जवाब देंहटाएंnav warsh kee dher saari shubhkaamnayen..... :)
नारे और ढिशुम-ढिशुम भी गूंजने लगा कानों में.
जवाब देंहटाएंक्या बात कही आपने...ओह...
जवाब देंहटाएंप्रशंसा को शब्द नहीं दूंढ़ पा रही...
लग रहा है मेरे मन में खौलते भावों को ही आपने शब्द दे दिए हैं...कृतज्ञ हूँ आपकी इस कृति की...
सुन्दर प्रस्तुति साल के अंतिम दिन भी...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कृति...
नए साल की शुभकामनाएं..
आभार
bahut umdaa prastuti, badhai sweekaaren.
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