बुधवार, 17 अगस्त 2011

नागार्जुन तुम कवि नहीं थे

तुम कवि नहीं थे
नागार्जुन
तुम्हे कोई वाद
नहीं था पसंद
तुमने नहीं जुटाई
अपनी पीढ़ियों के लिए
सुविधाएँ
तुम जुटा गए स्वरलहरियां
जिन्हें सुन आज भी
भुजाएं तन जाती हैं
कहो क्या कविता है
यह उद्देश्य

कवि की तरह
तुम्हे कभी प्रेम भी नहीं हुआ
कोई प्रेयसी नहीं थी तुम्हारी
जो लिखे अपनी आत्मकथा में
तुम्हारा नाम और
पत्रिकाओं के संपादक
उन पर करें चर्चा, टीका- टिप्पणी
हाँ जब युवा थे तुम
तुम्हे प्रेम हुआ भी था
तो कलकत्ता की  ट्राम और
मिलिटरी से रिटायर हुए
बूढ़े घोड़े से
कहो तो कैसे हो
इस विषय पर कोई चर्चा
लिखी जाए सम्पादकीय टिप्पणी
नागार्जुन
तुम कवि नहीं थे

तुम्हारी कविताओं में
अभाव  है नितांत
क्योंकि ह्रदय नहीं टूटते हैं
तुम्हारी कविताओं में
बिस्तरों में सिलवट नहीं पड़ते
और साँसें एक नहीं होती
तुम्हारी  कविताओं में
एक बस ड्राइवर सामने रख लेता है
गुलाबी चूड़ियां अपनी नन्ही बिटिया के लिए
कुतिया सोती है कई दिनों से बुझे चूल्हे के पीछे
रानी की पालकी ढोने के क्रम में
विद्रोह का विगुल बजा देती हैं
तुम्हारी कवितायेँ
फिर कहो कैसे कहें तुम्हे
एक कवि

नागर्जुन
तुम कवि नहीं हो सकते
तुम क्रांतिबीज थे
जो पनपेगा  एक न एक दिन
अवश्य ही  !

34 टिप्‍पणियां:

  1. क्या गुलाबी डोरियों से ही कविता जन्म लेती है ...

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  2. नागार्जुन जमीनी हकीकत को बयां करते हैं .जनवादी कवी को समर्पित आपकी रचना दिल को छू गयी .शुक्रिया

    blog paheli

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  3. वाह क्या विश्लेषण किया है।

    जवाब देंहटाएं
  4. नागर्जुन
    तुम कवि नहीं हो सकते
    तुम क्रांतिबीज थे
    जो पनपेगा एक न एक दिन
    अवश्य ही !
    panpa to hai aapki kalam me

    जवाब देंहटाएं
  5. नागर्जुन
    तुम कवि नहीं हो सकते
    तुम क्रांतिबीज थे
    जो पनपेगा एक न एक दिन
    अवश्य ही !
    Wah!

    जवाब देंहटाएं
  6. नागर्जुन
    तुम कवि नहीं हो सकते
    तुम क्रांतिबीज थे
    जो पनपेगा एक न एक दिन
    अवश्य ही !
    sunder abhivyakti..!!

    जवाब देंहटाएं
  7. नागर्जुन
    तुम कवि नहीं हो सकते
    तुम क्रांतिबीज थे
    अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!

    जवाब देंहटाएं
  8. नागर्जुन
    तुम कवि नहीं हो सकते
    तुम क्रांतिबीज थे
    जो पनपेगा एक न एक दिन
    अवश्य ही !
    bilkul sahi kaha hai ve vastav me kranti ke agradoot the.

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  9. नई कविता में जनपदीय कवि को याद करना अच्‍छा लगा, सच वे कवि नहीं थे नागर्जुन स्‍वयं कविता थे. ... और सही मायनों में नागर्जुन को जिन्‍होंनें भी नहीं पढ़ा वे कविता को जान भी नहीं पाये. हजारों कविता ब्‍लॉगों में थरथराती कविताई, गद्य को पद्य के रूप में परोसने और वाहवाही के आत्‍ममुग्‍धता से मुक्‍त होकर यदि नागर्जुन को पढे तो कमाल हो जाए.
    धन्‍यवाद जो आपने इन्‍हें याद किया.

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  10. तुम क्रांतिबीज थे

    एक नया सन्दर्भ और नए भाव बोध के साथ नागार्जुन को आपने याद किया ....सही कहूँ तो मैं भी यही कहूँगा की नागार्जुन कवि नहीं थे ....क्योँकि आज कवि होने के मानदंड बदल गए हैं और नागार्जुन उन मानदंडों पर खरे नहीं उतरते ...हा..हा..हा..!

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  11. बहुत सुन्दर रचना!
    बाबा नागार्जुन जी आपकी हमें बहुत याद आती है!

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  12. नागर्जुन
    तुम कवि नहीं हो सकते
    तुम क्रांतिबीज थे
    जो पनपेगा एक न एक दिन
    अवश्य ही !


    बहुत सशक्त रचना ..बाब नागार्जुन के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  13. नागर्जुन
    तुम कवि नहीं हो सकते
    तुम क्रांतिबीज थे
    जो पनपेगा एक न एक दिन
    अवश्य ही !
    निश्चित ही ये आपके विचार,उन्नत व उचित हैं ,सुविग्य ,द्रष्टा , नागार्जुन ,नाश्वर नाद के अग्रदूत हैं ...
    बहुत प्रभावकारी सृजन ,अभिव्यक्ति ... शुभकामनायें /

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  14. एक बस ड्राइवर सामने रख लेता है
    गुलाबी चूड़ियां अपनी नन्ही बिटिया के लिए
    कुतिया सोती है कई दिनों से बुझे चूल्हे के पीछे...

    very touching lines. Beautiful presentation.

    .

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  15. नागर्जुन
    तुम कवि नहीं हो सकते
    तुम क्रांतिबीज थे
    जो पनपेगा एक न एक दिन
    अवश्य ही !

    जनकवि नागर्जुन जी को समर्पित ये कविता मन को छू गई. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  16. हाँ बाबा तुम क्रांतिबीज थे
    ...

    तुम्हे कवी क्यों माना गया....

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  17. तुम्हारी कविताओं में
    एक बस ड्राइवर सामने रख लेता है
    गुलाबी चूड़ियां अपनी नन्ही बिटिया के लिए
    कुतिया सोती है कई दिनों से बुझे चूल्हे के पीछे

    ....बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..हर पंक्ति मन को छू जाती है.

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  18. यह कविता नागार्जुन के प्रति एक सच्ची श्रद्धांजलि है।

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  19. तुम्हे प्रेम हुआ भी था
    तो कलकत्ता की ट्राम और
    मिलिटरी से रिटायर हुए
    बूढ़े घोड़े से

    जीवन सच्चाई का नाम है ... कविता शायद एक भ्रम है !

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  20. बहुत सुन्दर.......जब भी मौका लगा नागार्जुन जी की कविताये ज़रूर पढूंगा|

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  21. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  22. विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार हमारे देखने की एक सीमा होती है और उस तरंग लम्बाई के कम और अधिक हम नहीं देख पाते हैं.. बाबा नागार्जुन का श्रृंगार रस भी उस तरंग लम्बाई से बाहर का श्रृंगार है.. इसलिए आपने सही कहा है कि वे कवि नहीं थे. और तो और उनकी तो वेश-भूषा भी उनको कवियों के मध्य सुशोभित होने योग्य अवसर प्रदान नहीं करती..
    मुझे भी आपकी बातों में सत्यता दिखती है!! अरुण जी, साधुवाद!!

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  23. सच तो यह है कि नागार्जुन ही सच्‍चे कवि थे। विश्‍लेषण अच्‍छी कोशिश है,पर नागार्जुन को थोड़ा और पढ़ना चाहिए। वरना इस तरह की कविता केवल एक सतही नारे के तरह रह जाती है।

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  24. यह जन्माष्टमी देश के लिए और आपको शुभ हो !

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  25. बाबा की रचनाएं तो रोमांचित करती करती हैं ... आज आपकी रचना एक सच्छी श्रधांजलि के रूप में है बाबा के चरित्र और उनके काम के प्रति ... बहुत ही लाजवाब ...

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  26. आप क्या क्या लिख जाते हैं
    कितना सुन्दर लिख जाते हैं
    शायद आपको भी पता नहीं
    क्यूंकि आप दिल से लिखतें हैं
    और दिल है की मानता ही नहीं.
    क्या आप कवि हैं?
    आपकी कविता से बहुत कुछ बाबा
    नागार्जुन जी को जानने का मिला.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

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