सोमवार, 19 दिसंबर 2011

अदम गोंडवी से एक संवाद


(अदम गोंडवी, दुष्यंत कुमार के बाद किसी की  ग़ज़ल में यदि क्रांति थी तो वे थे अदम गोंडवी. वे नहीं रहे. उन्हें कई बार प्रत्यक्ष सुनने का अवसर मिला.एक बार धनबाद भी आये थे एक कवि सम्मलेन में.रामनाथ सिंह उर्फ़ अदम गोंडवी को समर्पित एक कविता. शायद कभी प्रत्यक्ष मिलता तो यही कहता जो कविता कह रही है.)




पता है 
तुम नहीं रहे 
और कोई खबर नहीं बनी 
किसी भी सर्च इंजन में
तुम्हारा नाम , परिचय 
तुम्हारी कवितायेँ, ग़ज़ल नहीं आती हैं
तुम किसी लेट्रेरी फेस्टिवल के अतिथि भी नहीं बने
कहो फिर क्यों बनती कोई खबर 

तुम मंच से कविता कहते थे
तो सच लगता था
रोये खड़े हो जाते थे
मुट्ठियाँ भिंच जाती थी
लेकिन क्या उस से बदल जाती है 
लोकतंत्र की प्रणाली 
तुमने कहा था 
फाइलों के जाल में उलझी रौशनी
सालो साल नहीं आएगी गाँव में
चीख चीख कर गाते रहे तुम 
ग़ज़ल लिखने से बेहतर होता 
मांग लिया होता 
कोई लोकपाल 
कह दिया होता सरकार से 
बनाने को सिटिज़न चार्टर 
तुम भी रहते खबर में 
रोज़ मापा जाता 
तुम्हारा भी रक्तचाप
एम्बुलेस खड़ी होती 
तुम्हारे मंच के पीछे 
लेकिन तुम तो 
पीछे ही पड़ गए थे
विधायक के 
जो भुने हुए काजू और व्हिस्की  के जरिये
चाहता था रामराज लाना 

अदम साहब
तुम तो चले गए
वे विधायक अब भी हैं
 व्हिस्की  और भुने हुए काजू के साथ
तरह तरह के गोश्त परोसे जाने लगे हैं 
अब भी फाइलों में उलझी है रौशनी 
ठन्डे चूल्हे पर अब भी चढ़ती है 
खाली पतीली 
दीगर बात है कि
लोकसभा और विधान सभा क्षेत्रो के परिसीमनो के बाद
बढ़ गई है इनकी संख्या 
कुछ मंत्री बन गए हैं 
और जो मंत्री नहीं बन सके 
बना दिए गए हैं आयोगों और समितियों के सदस्य 
उधर ठन्डे  चूल्हों की संख्या भी बढ़ गई है

यदि आप लिखे होते 
अपने गाँव के पकौड़ो और जलेवियों के बारे में
या फिर अपने जीवन में आने वाली महिलाओं  के बारे में
थोडा सच थोडा झूठ 
आये होते लोग आपकी भी शोक सभा में 
छपी होती आपकी तस्वीर भी 
किसी अंग्रेजी अखबार में 
लेकिन आपकी गजले तो उतारू थी हाथापाई पर 
इस व्यवस्था के साथ 

एक बात कहूँगा फिर भी 
सिंह साहब
आपके जाने के बाद भी
गरजेंगी आपकी ग़ज़लें और 
डरेगी यह व्यवस्था  ! 

27 टिप्‍पणियां:

  1. यदि आप लिखे होते
    अपने गाँव के पकौड़ो और जलेवियों के बारे में
    या फिर अपने जीवन में आने वाली महिलाओं के बारे में
    थोडा सच थोडा झूठ
    आये होते लोग आपकी भी शोक सभा में
    छपी होती आपकी तस्वीर भी
    किसी अंग्रेजी अखबार में
    लेकिन आपकी गजले तो उतारू थी हाथापाई पर
    इस व्यवस्था के साथ .... पर जो गिनेचुने हैं साथ वे सच हैं , शोर से दूर , समाचार से दूर ...

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  2. स्पष्ट स्वर शान्त हो गये हैं, पुनः कोलाहल आ गया वातावरण में।

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  3. हमारी भी श्रद्धांजलि...आप ही के ज़रिए...

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  4. आपका सूक्ष्म अवलोकन और सुन्दर प्रस्तुतिकरण
    बेमिसाल है अरुण भाई.पढकर मन भाव विभोर हो
    जाता है.आपके इस अनुपम संवाद को सादर नमन.

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  5. एक कवि की मौत ...
    सच्चे इंसान ऐसे ही जीते हैं ... श्रधांजलि है मेरी कलम के सिपाही को ...

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  6. आखिरी पंक्तियाँ पर आमीन कहने का मन है.

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  7. abhi kuch dino pahle ek virat kavisammelan me gaya tha..logon ne puncha kahan se aaye hain..maine kaha gonda se..unhone kaha tab to aapne gondvi jee kee rachnaaon khoob lutf uthaya hoga..maine kah main gonda se kuch dino se sampark me hoon..gondvi jee ka naam khoob suna hai par kabhi mauka nahi mila..technical college me nana prakar ke kaam hote hai..science ka vidyarthi hoon ..sahity ki utni samajh bhi nahi hai..isliye banchit raha..lekin abki jaakar is mahan shayer se jarur miloonga..aaj unhe samarpit kavita..ek behtarin shrandhanjali padhkar laga kee mere yas swpn swpn hee rah gaya..gondvi jee nahi rahe..mujhe vishwa nahi ho paa raha hai..lekin aapki shradhanjali ko padhkar main us mahan shayar ke anter me chupi jwala se wakif ho saka...is utkrid shradhajali ke liye aapki jitni taarif kee jaye kam hai..sadar badhayee ke sath

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  8. विनम्र श्रद्धांजलि………सुन्दर भाव्।

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  9. क्षमा करें अरुण जी अदम जी के सन्‍दर्भ में यह सब पूरी तरह सही नहीं है। ऐसा कहकर आप उनके द्वारा किए गए वास्‍तविक काम का कद छोटा कर रहे हैं। उनकी कविता और ग़ज़ल ने आंदोलनों को बहुत आगे बढ़ाया है। लोगों के बीच एक हलचल पैदा की है। और वे खबरों में भी रहे हैं। वास्‍तव में उनकी कविता और ग़ज़लें ऐसी हैं,जिनसे अन्‍याय से लड़ने वालों को हौसला मिलता है और मिलता रहेगा।

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  10. एक और बात्... उनका असली नाम मेरी जानकारी में रामनाथ सिंह है-रमानाथ सिंह नहीं।

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  11. आपकी कविता अदम गोंडवी जी को सच्ची श्रद्दांजलि है.

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  12. अदम गोंडवी साहब को भावभीनी श्रधान्जली देते हुए बहुत सुंदर कविता पेश की है. हमने एक असाधारण व्यक्तित्व को खो दिया. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे.

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  13. आपके जाने के बाद भी
    गरजेंगी आपकी ग़ज़लें और
    डरेगी यह व्यवस्था !

    बहुत सही कहा आपने। एक सच्ची श्रद्धांजलि है यह कविता उस शख्स के लिए जो ग़रीबों की आवाज़ था।
    विनम्र श्रद्धांजलि।

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  14. अदम साहब पर बेहतरीन कविता। बहुत पसन्द आई।

    पता है
    तुम नहीं रहे
    और कोई खबर नहीं बनी
    किसी भी सर्च इंजन में
    तुम्हारा नाम , परिचय
    तुम्हारी कवितायेँ, ग़ज़ल नहीं आती हैं
    तुम किसी लेट्रेरी फेस्टिवल के अतिथि भी नहीं बने
    कहो फिर क्यों बनती कोई खबर

    यदि आप लिखे होते
    अपने गाँव के पकौड़ो और जलेवियों के बारे में
    या फिर अपने जीवन में आने वाली महिलाओं के बारे में
    थोडा सच थोडा झूठ
    आये होते लोग आपकी भी शोक सभा में
    छपी होती आपकी तस्वीर भी
    किसी अंग्रेजी अखबार में
    लेकिन आपकी गजले तो उतारू थी हाथापाई पर
    इस व्यवस्था के साथ
    ...

    जवाब देंहटाएं
  15. सच्ची श्रद्धांजलि दी आपने अदम साहब को

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  16. मनोज कुमार ने आपकी पोस्ट " अदम गोंडवी से एक संवाद " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

    आपके जाने के बाद भी
    गरजेंगी आपकी ग़ज़लें और
    डरेगी यह व्यवस्था !

    बहुत सही कहा आपने। एक सच्ची श्रद्धांजलि है यह कविता उस शख्स के लिए जो ग़रीबों की आवाज़ था।
    विनम्र श्रद्धांजलि।

    जवाब देंहटाएं
  17. आदरणीय राजेश भाई, इस कविता में मैंने आज हवा में पाँव रख कर आन्दोलन कर रहे नेतृत्व कर निशाना साधने की कोशिश की यह...यदि यह सन्देश नहीं गया तो कविता असफल रही है... बाकी नाम में टंकण त्रुटि रह गयी थी... सुधार कर लेता हूं.....

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  18. दर्द और चीख साफ़ उभर के आये शब्दों में. श्रद्धांजलि!

    जिसे भी इस मौत का शोक होगा, गहरा होगा.
    यही काफ़ी है कि उनकी ज़िंदगी कीमती थी इसलिए मृत्यु रुला गयी..

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  19. अदम साहब
    तुम तो चले गए
    वे विधायक अब भी हैं
    व्हिस्की और भुने हुए काजू के साथ
    तरह तरह के गोश्त परोसे जाने लगे हैं
    अब भी फाइलों में उलझी है रौशनी

    .....अदम साहब के व्यक्तित्व और कृतित्व को बहुत प्रभावशाली ढंग से चित्रित किया है..विनम्र श्रद्धांजलि..

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  20. आपके एक एक शब्द में सम्मिलित मेरे भी शब्द...

    अपूरणीय क्षति है यह...

    कोई तो आगे बढे भरने को यह रिक्त स्थान...

    अश्रुपूरित श्रद्धांजलि...

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  21. अरुण जी आपकी कविता में वही है जो आपने कहना चाहा है । यह सच्ची श्रद्धांजलि है ।

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  22. अदम साहब को विनम्र श्रद्धांजलि।

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  23. बहुत ही सुंदर भावों का प्रस्फुटन देखने को मिला है । मेरे नए पोस्ट उपेंद्र नाथ अश्क पर आपकी सादर उपस्थिति की जरूरत है । आदम साहब को विनम्र श्रद्धांजलि । धन्यवाद ।

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