सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

एकतरफा प्रेम


सेंकते हुए रोटी 
अक्सर जल जाती  है
तुम्हारी उंगलियाँ
तुम उफ़ भी नहीं कहती 

कड़ाही का गरम तेल
अक्सर छिटक कर 
पड़ जाता है 
तुम्हारी बाहों पर 
फफोले उग आते हैं
तुम चुप ही रहती हो

पानी लग जाता हैं
तुम्हारे पैरों की उँगलियों में
बिल्कुल भी 
रूकती नहीं तुम 

हर पर्व त्यौहार पर
तुम्हारी व्यस्तता 
बढ़ जाती है 
कई गुणा

इन सबके बीच
तुम बालों में लगा लेती हो
सुगन्धित तेल
भर लेती हो मांग
बालों में गूंथ लेती हो
एक फूल
प्रतीत होती हो 
रिझाती सी 

पैरों में 
घिरनी बांधे तुम
सदियों से
कर रही हो प्रेम
(एकतरफा प्रेम !)

26 टिप्‍पणियां:

  1. अगर आपने महसूस कर लिया तो फिर एकतरफा तो नहीं रहा।

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  2. बहुत ही बढ़िया सर!

    प्रेम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    सादर

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  3. प्रेम कभी एकतरफा नहीं होता. वह उन्माद या वासना है जो इसे एकतरफा बनाती है !

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  4. बहुत सुंदर रचना ......
    ये शाश्वत प्रेम का स्वरुप है ...एक तरफा कहाँ है ....?

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  5. pyaar kaa ye rank ek tarfa nahi hai...dekhne wale ne nigaah to daali hee hogi

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  6. कहाँ इकतरफा प्रेम ? इस एहसास में , इस दृष्टि में , इस स्वीकार में प्रेम ही प्रेम है

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  7. अरुण जी!! एकतरफा प्रेम तो मैं भी नहीं मानता.. एक गीत रविन्द्र जैन ने लिखा है:
    सजना है मुझे,
    सजना के लिए,
    ज़रा उलझी लटें संवार लूँ,
    हर अंग का रंग निखार लूँ
    क्योंकि सजना है मुझे, सजना के लिए!!
    वो जो अदृश्य प्रेम है, वही तो इन सबके लिए प्रेरित करता है!! प्रेम का दूसरा, अदृश्य, मगर महत्वपूर्ण कोण!!

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  8. लिखा तो है बड़ा संतुलित मगर गुस्ताख़ी माफ़ हो... बाय द वे यह डेडिकेटेड किसे है ?

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  9. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    कल 15/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है !
    क्‍या वह प्रेम नहीं था ?

    धन्यवाद!

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  10. अरुण जी मुझे यूँ लगा शायद ये आपने पहले भी ब्लॉग पर डाली है पोस्ट |

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  11. प्रेम का सुन्दर शब्द चित्रण... भारतीय नारी ऐसी ही होती है...

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  12. एक तरफा प्रेम कहाँ है? यहाँ तो सब कुछ प्रेममयी है..बहुत सुंदर प्रस्तुति..

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  13. Sirji har pankti dil ko chhoo gai..
    bahut bahut hi sundar rachna ... :)


    palchhin-aditya.blogspot.in

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  14. ऐसा कैसे हो सकता है ..?
    एक तरफ़ा..?
    मान नहीं सकता ..
    होता होगा दिल में धक (एक ही बार सही ) धक
    चुभती होगी कसक
    निकलती होगी आह
    कुछ याद आता होगा खास
    होते होंगे कभी उदास

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  15. very very nice poem, while reading your poems you take the reader to the joureny of imagination where each and every word of your take shape and size which is amazing experience...

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  16. एक तरफ़ा प्रेम ...

    या बांध दिये गए बन्धनों का फ़र्ज़ ...
    पता नहीं .....

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  17. इन सबके बीच
    तुम बालों में लगा लेती हो
    सुगन्धित तेल
    भर लेती हो मांग
    बालों में गूंथ लेती हो
    एक फूल
    प्रतीत होती हो
    रिझाती सी

    पैरों में
    घिरनी बांधे तुम
    सदियों से
    कर रही हो प्रेम
    (एकतरफा प्रेम !)
    बहुत सुन्दरमहा- शिव रात्रि के विशेष पर्व पर . .अन्नपूर्णा का सुन्दर शब्द चित्र .

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  18. प्रेम के सही मायनों को तलाशती है ये रचना .. लाजवाब अरुण जी ... क्या बात है ...

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  19. gagar me sagar...behtarin ..aaurat kee sahan sheelta ka jawab nahin...sadar badhayee aaur mantran ke sath

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