बुधवार, 21 जून 2017

तथास्तु



ईश्वर ने 
पत्थर बनाये और उनमे भर दिया दृढ़ता 
फिर उसने बनाये नदियां और उनमे भर दी चंचलता 
ईश्वर ने बनाया वृक्ष और उनके भीतर भर दिया हरापन 
उसी ईश्वर ने बनाया मिटटी और धीरज भर दिया उसके कण कण में 
ईश्वर ने ही बनाया अग्नि और उसमे भरा तेज़ 
फिर ईश्वर ने पत्थर से ली उधार दृढ़ता,
नदी से चंचलता,
वृक्ष से हरापन,
मिटटी से धीरज
और अग्नि से तेज़ 
और बनाया स्त्री
उसके रोम रोम में भर दिया करुणा और प्रेम 
फिर ईश्वर तथास्तु कहकर चला गया पृथ्वी से 

स्त्री के बाद कुछ और शेष नहीं सृष्टि में ! 

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