बुधवार, 10 जून 2020

भूत


 भूत
का नाम सुनते ही
डरते हैं हम
जबकि भूत ने अभी तक
कुछ भी नहीं बिगाड़ा हमारा।

कहते हैं भूत
आदमी को करता है परेशान
लेकिन देख रहा हूं मैं
आदमी को परेशान
भूख और लाचारी से
गरीबी और बेगारी से
दंगों और फसादों से
तो क्या समझ लिया जाय कि
भूख, गरीबी, बेरोजगारी और हिंसा
दुनिया के सबसे ख़तरनाक भूत हैं।

दादी नानी कहती थी
उल्टे होते हैं
भूत के पांव
वे उल्टी दिशा में चलते हैं
जबकि में देख रहा हूं
सत्ता को उलटी दिशा में चलते
मनुष्य के हितों के विपरीत दिशा में चलते
संकीर्ण मानसिकता में फंसा जनता का दोहन करते
तो क्या समझूं कि
सत्ता ही है वह डरावना भूत
जिसे किसी ने आज तक देखा नहीं
बस सुना ही है।

ठीक ही कहता है
नुक्कड़ पर बैठा अख़बार बेचने वाला बूढ़ा कि
अनुभव से बता रहा हूं
भूत से मत डरो
डरो तो उस आदमी से
जिसके भीतर का आदमी
मर चुका हो।

10 टिप्‍पणियां:

  1. डर भूत हो चुके आदमी से लगता है :)

    सुन्दर सृजन।

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  2. आदमियत का मर जाना ही शायद भूत हो जाना है

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  3. वाह ...
    दरो आदमी से ... सच है इन भूतो की बात कोई नहीं करता ... जिसे नहीं देखा उसकी बात सब करते हैं ... लाजवाब ...

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    उत्तर
    1. धन्यवाद सर . आप पढ़ लेते हैं तो रचना सफल हो जाती है .
      अरुण

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