रविवार, 21 नवंबर 2021

बारिश का नृत्य

 


बारिश का नृत्य

मूल कविता - लिन रिग्स
अनुवाद - अरुण चन्द्र राय


धरती के बंजरपन के शाप से मुक्त
मीलों मील उल्लास से भरे 
लहलहाते खेत।

सुबह के सन्नाटे से को चीर कर
अंधेरे के घेरे से बाहर निकलकर 
खनखनाती दमकती धूप।

क्षणभंगुर जीवन के झंझावात 
अक्षम्य अपराधों का अफसोस
सोंधी मिट्टी से महकते एहसास
ये बारिश के नृत्य।

केवल बारिश का नृत्य
कम कर सकता है मेरे दुखों को
कम कर सकता है मेरे दर्दों को । 

***

6 टिप्‍पणियां: