आपको हार्दिक शुभकामनाएं
शुभकामनाएं इसलिए भी कि
गौरैया विलुप्त हो रही है
और इसे बचाने के लिए
आप लिख रहे हैं नारे
बना रहे हैं विज्ञापन
जैसे कि आप करते हैं छद्म, प्रपंच
जल बचाने के लिए
वृक्ष बचाने के लिए
बेटी बचाने के लिए
नदी बचाने के लिए
मिट्टी बचाने के लिए
हवा बचाने के लिए
ओजोन परत बचाने के लिए
डॉल्फिन और घड़ियाल बचाने के लिए
बाघ, सिंह, गैंडा बचाने के लिए ।
दरअसल आप जो मनुष्य हैं
पृथ्वी के श्राप हैं
बचाना है पृथ्वी को इस मनुष्य से ।
सत्य है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंजी अरुण जी , समस्त प्राणियों में मानव ने ही अपनी महत्वकांक्षाओं के चलते अपने हर अधिकार का अतिक्रमण किया है और कर्तव्य से दूरी बनायी है | सभी सजीवों में मानव धरती का श्राप ही साबित हुआ है | अनमोल रचना |
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रेणु जी।
हटाएंआदमी के मुँह पर तमाचा ।
जवाब देंहटाएंहमेशा उसने ख़ुद ही मारा ।
पृथ्वी और प्रकृति को बचाने का सार्थक सच्चा संदेश देती बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबधाई
शुक्रिया ज्योति खरे जी।
हटाएंसटीक तंज ।
जवाब देंहटाएंमन के सत्य उदगार।