पत्तों पर
कभी देखा है
धूप को टिकते हुए..
पत्तों का रंग
कितना सुखद हरा
होता है ।
ये हरीतिमा
धूप को टिकते हुए..
पत्तों का रंग
कितना सुखद हरा
होता है ।
ये हरीतिमा
प्रतीक है
जीवन की
सुख और
शांति की
वैभव और
समृद्धि की ।
समृद्धि की ।
हरियाली लाती है
सन्देश
भरपूर है चराचर
और अपनी सृष्टि
साँसे ले रही
तरुणाई
हो रही
पतझड़ की भरपाई ।
इसी हरे रंग में
इसी हरे रंग में
समाई है
जीवन की उर्जा
ऊष्मा और
जीवन की उर्जा
ऊष्मा और
इसमें ही
रमी
रिश्तों की नमी ।
कभी देखना
मेरा चेहरा भी
तुम्हारी आभा से
कैसे खिल जाता है
और हो जाता है
सुखद हरे रंग जैसा ।
कभी देखना
मेरा चेहरा भी
तुम्हारी आभा से
कैसे खिल जाता है
और हो जाता है
सुखद हरे रंग जैसा ।
वही हरा रंग
जो ओढती हो तुम
पहनती हो
वही हरा रंग
जो जीवंत है
जो ओढती हो तुम
पहनती हो
वही हरा रंग
जो जीवंत है
तुममें ।
वाह
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-3-22) को "खिलता फागुन आया"(चर्चा अंक 4370)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा !@
जवाब देंहटाएंNice post thank you Tom
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