मंगलवार, 2 जनवरी 2024

चोटी वाले अर्ध-ईश्वर - तेनज़िन त्सुन्दुए

तेनज़िन त्सुन्दुए  की कविता "द पोनिटेल डेमीगाड" का अनुवाद 

(तेनज़िन त्सुन्दुए  ने यह कविता प्रसिद्ध अंग्रेजी कवि आदिल जेस्सूवाला के लिए लिखी थी और टाटा साहित्य सम्मेलन में इसका पाठ किया था । )


एक घर 

घर के ऊपर घर 

घर के ऊपर और घर 

बांस की तरह खड़ा  हुआ 

एक घर 


एक धीमे धीमे चलते लिफ्ट में 

बहत्तर धड़कनों के बाद 

जब मैं पहुँच आपके पास 

पाया कि आप गए हैं फ्रांस 

अपनी प्रिय मल्लिका  के साथ 


आपने मुझे जिम्मेदारी दी 

घर की रखवाली की 

लेकिन मुंबई में एक तिब्बती के लिए 

यह काम भी एक सहारा बन जाता है 

आश्रय बन जाता है 

18 वीं मंजिल पर । 


मैंने खुलकर आपसे कहा कि 

मुझे अपने बगीचे में 

अपने गुलाबों और नासपातियों के साथ खिलने दीजिए 

मैं आपके पलंग के नीचे सो जाऊंगा 

और बाहर आईने के सहारे देख लूँगा टेलीविजन । 


एक समय था जब 

बंबई ने मुझे सिखाया 

एक बडा -पाव और कटिंग चाय पर जीना 

उस समय मैं बहुत भूखा और दुबला था 

इतना कि मैं जैसे गायब ही हो जाऊंगा 

कि मैं जैसे कोई पतंग हूँ जैसे बिना डोर के 

और आपने कहा था कि मैं उड़ते उड़ते , धक्के खाते 

किसी बच्चे के हाथ पड़  जाऊंगा । 


मैंने हमेशा ही आपने देखी है 

गणपती की छवि 

पीछे चोटी बांधे अर्ध-ईश्वर । 


बंबई डुबाती है मुझे 

चौपाटी पर बार बार 

सितम्बर में हर बार 

आप उबार लेते मुझे आकार 

एक शिक्षक, एक मेंटर ,, एक संपादक और अब 

एक महाकवि की भांति ! 

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