बुधवार, 3 नवंबर 2010

छद्म दीपोत्सव

राम
जब हुआ था तुम्हारा 
राज्याभिषेक  
दीप जले थे  
अयोध्या में 
रामराज्य के स्वागत में

रामराज्य ने 
सरयू में 
समाधि ले ली 
तुम्हारे साथ ही
फिर यह कैसी 
दिवाली 
क्यों यह 
दीपोत्सव 

हे राम 
तिमिर और भी 
गहराता जा रहा है
मन के भीतर हमारे
ज्यो ज्यो 
प्रकाशमान हो रहे हैं 
उत्सव

लक्ष्य विहीन
वैभव विहीन 
अयोध्या यह  देश 
कहो ना 
कब तक मनायेगा 
छद्म दीपोत्सव

28 टिप्‍पणियां:

  1. हे राम
    तिमिर और भी
    गहराता जा रहा है
    मन के भीतर हमारे
    ज्यो ज्यो
    प्रकाशमान हो रहे हैं
    उत्सव
    बहुत ही प्रेरणादायी सकारात्मक आलोक से दीप्त पंक्तियाँ ...आभार !
    आपको सपरिवार प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

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  2. हर साल दीप जला हम उस राज्य का आह्वान करते हैं , राम का राज्याभिषेक करते हैं

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  3. बहुत उम्दा!


    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    -समीर लाल 'समीर'

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  4. सुन्दर!
    --

    प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
    आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।
    --
    आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
    दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

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  5. धर्म-सापेक्षता और धर्म-निरपेक्षता को सही अर्थों में हम नहीं लेते है, दीवलियाँ छद्म रहेंगी।

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  6. प्रश्न तो वाजिब है। आपको व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।।

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  7. हे राम
    तिमिर और भी
    गहराता जा रहा है
    मन के भीतर हमारे
    ज्यो ज्यो
    प्रकाशमान हो रहे हैं
    उत्सव


    बहुत ही सटीक शब्दों में सच्चाई बयान कर दी है....
    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  8. लक्ष्य विहीन
    वैभव विहीन
    अयोध्या यह देश
    कहो ना
    कब तक मनायेगा
    छद्म दीपोत्सव...
    आपको व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।।

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  9. सच है, समय ने सब कुछ उलट पुलट दिया है
    ...बहुत सुंदर रचना।
    आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की मंगलकामनाएं।

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  10. बहुत कुछ सोंचने को मजबूर करती हुई बेहतरीन कविता.....आप और आपके परिवार के सभी लोंगो को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

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  11. अरुण जी कविता अच्छी है, पर इसके भाव से सहमत न होने की गुस्ताख़ी कर सकता हूं। छ्द्म अगर हमने बनाया है तो हम ही इसे रंगीन भी बना सकते हैं....
    चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
    हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
    अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
    प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो


    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
    सादर,
    मनोज कुमार

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  12. मतलब हम क्यों किसी राम की प्रतीक्षा करें और उन्हें दोष दें। सब किया धरा तो हमारा ही है।

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  13. लक्ष्य विहीन
    वैभव विहीन
    अयोध्या यह देश
    कहो ना
    कब तक मनायेगा
    छद्म दीपोत्सव ...

    इसलिए राम को दुबारा आना होगा ... अवतार लेना होगा ... बहुत ही कमाल का हो गया है ...
    आपको और आपके समस्त परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं ...

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  14. आज मै मनोज जी से सहमत हूं कि कब तक हम आस की डोर को थामे रहेंगे कि कोई आयेगा और हमे मुक्त करवायेगा ……………कदम तो हमे स्वंय ही बढाने पडेंगे कारवाँ तो खुद-ब-खुद बनता जायेगा……………वैसे रचना काफ़ी अच्छी बनी है जब इंसान भावुक होता है तो ऐसे ही भाव उपजते हैं और वो उम्मीद का दामन थाम लेता है।

    दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।

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  15. दीपावली की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं

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  16. दीवाली के दिन न इतना अँधेरा करो , इक इक दिल रौशन होगा तो उजियारा होगा ..
    दीपावली की बहुत बहुत बधाई ..

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  17. नीरज गोस्वामी जी ने ईमेल से कहा...
    "अद्भुत सारगर्भित रचना...बधाई

    नीरज "

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  18. लक्ष्य विहीन
    वैभव विहीन
    अयोध्या यह देश
    कहो ना
    कब तक मनायेगा
    छद्म दीपोत्सव...

    बहुत ही सारगर्भित सटीक प्रस्तुति...

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  19. आपस में ही भाईचारा ना हो तो यही हाल होगा.

    सुंदर सटीक अभिव्यक्ति.

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  20. दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !

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  21. लक्ष्य विहीन
    वैभव विहीन
    अयोध्या यह देश
    कहो ना
    कब तक मनायेगा
    दीपावली की बहुत बहुत बधाई

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  22. तिमिर और भी
    गहराता जा रहा है
    मन के भीतर हमारे
    ज्यो ज्यो
    प्रकाशमान हो रहे हैं
    उत्सव
    कितना सही और प्रासंगिक विचार ...... बहुत सुंदर ....
    दिवाली हार्दिक शुभकामनाये....

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  23. अरुण जी! कब तक हम इंतज़ार करते रहेंगे कि कोई राम, कोई गाँधी आएगा हमारे जीवन के तिमिर वन में प्रकाशपुंज बनकर… कब तक दोषारोपण करते रहेंगे हम कि अंधकार है.. कब तक रोना पीटना अंधेरे का... अपना दीपक स्वयम बनो.. अप्प दीपो भव!!

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  24. हे राम
    तिमिर और भी
    गहराता जा रहा है
    मन के भीतर हमारे
    ज्यो ज्यो
    प्रकाशमान हो रहे हैं
    उत्सव


    लक्ष्य विहीन
    वैभव विहीन
    अयोध्या यह देश
    कहो ना
    कब तक मनायेगा
    छद्म दीपोत्सव।

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति। आभार।

    आज दीपावली है। प्रकाश पर्व। अज्ञान के अंधकार को हरने, उसे ज्ञान से प्रकाशित करने तथा रिद्धि -सिद्धि, सुख, सम्पत्ति से जीवन को आप्लावित करने की कामना का त्यौहार।

    ईश्वर से कामना है कि यह दीपोत्सव आपके जीवन में सभी मनोकामनाएं पूर्ण करे।

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  25. दीपावली का त्यौहार आप, सभी मित्र जनो को परिवार को एवम् मित्रो को

    सुख,खुशी,सफलता एवम स्वस्थता का योग प्रदान करे - इसी शुभकामनओ के

    साथ हार्दिक बधाई। - आशू एवम परिवार
    (¨`·.·´¨) Always
    `·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
    (¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
    `·.¸.·´ -- Ashish (Ashu)

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