१.
पिता
नहीं होते सत्यवान
माएं होती हैं
फिर भी
सावित्री
२.
सावित्री
चल देती है
यमराज के साथ
सत्यवान के लिए
सत्यवान
नहीं चल सकता
कदम दो कदम
साथ सावित्री के
३.
धागा बाँध
जोड़ लेती है
सावित्री
कई जन्मों का
सनातन सम्बन्ध
वर्षो साथ रह
जो कई बार
बनता नहीं
४ .
वट
आस्था है
एक दिन में
गहराई नहीं हैं
इसकी जड़ें
बहुत सुन्दर कहा…………आस्था तो है मगर जडें भी गहरी हैं मगर सिर्फ़ स्त्री के लिये पुरुष ने कब रखा व्रत कब की पूजा……………सुन्दर भावों को संजोया है।
जवाब देंहटाएंसार्थक विवेचन!!
जवाब देंहटाएंवट
आस्था है
एक दिन में
गहराई नहीं हैं
इसकी जड़ें
wow kitni gehri hai ye panktiyaan ...
जवाब देंहटाएंvet sawitri vrat ke uper anoothi rachanaa.sahi kaha aapne aurat to saawitri ban jaati hai aadmi hi satyawaan nahi ban paata,badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंआज बरगदाही है, आपकी कविता लाइव है।
जवाब देंहटाएंbahut sateek bat kahi hai aapne .
जवाब देंहटाएंवट
जवाब देंहटाएंआस्था है
एक दिन में
गहराई नहीं हैं
इसकी जड़ें
sach hai
वट
जवाब देंहटाएंआस्था है
एक दिन में
गहराई नहीं हैं
इसकी जड़ें
बहुत सच कहा है...बहुत सटीक प्रस्तुति...
हर क्षणिका बहुत अच्छी ..सत्य को कहती हुई
जवाब देंहटाएंसावित्री
जवाब देंहटाएंचल देती है
यमराज के साथ
सत्यवान के लिए
सत्यवान
नहीं चल सकता
कदम दो कदम
साथ सावित्री के...
हर क्षणिका सच्चे और गहरे अर्थ समेटे हुए है...
एक-एक क्षणिका में कई-कई संदेश गुंथे हैं, और आज के हालत को बयां कर रहे हैं। कम शब्दों में आपने बहुत ही सार्थक बात कही है। आपकी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक मैं इन्हें मानता हूं।
जवाब देंहटाएंक्षणिकाओं में उभरता सत्य.कुछ ही पंक्तियों में गहन अर्थ छिपा है.
जवाब देंहटाएंkyaa baat haen itnaa kuchh keh diyaa
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा क्षणिकाएँ लिखी हैं आपने!
जवाब देंहटाएंअरुण जी,सावत्री और सत्यवान के माध्यम से अच्छी अभिव्यक्ति की है आपने.
जवाब देंहटाएंइस बार मेरे ब्लॉग को काफी समय से भुलाये हुए है आप.कोई नाराजगी तो नहीं ?
आपकी लेखनी सदैव ही निःशब्दता की स्थिति में पहुंचा देती है...
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ....
सत्य सटीक निरूपण....
बहुत बहुत सुन्दर सभी की सभी क्षणिकाएं .......
padh kar bahut achchha laga.
जवाब देंहटाएंsaral rachna.
sarthak baat.
kehne ka andaaz seedha sada.
क्षणिकाएं लिखने में आपका कोई सानी नहीं...एक से बढ़ कर एक...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
आज कुछ नहीं कहूँगा सिर्फ एक " :)" के... ऐसा नहीं कि नहीं है कहने को.. लेकिन आज अच्छे लगे बिम्ब वाट,सावित्री और सत्यवान के!!
जवाब देंहटाएंएक दिन में
जवाब देंहटाएंगहराई नहीं हैं
इसकी जड़ें
बिम्बों की सुन्दर छटा
चारों ही रचनाएं बहुत सुदंर हैं.
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएंचुने हुए चिट्ठे ..आपके लिए नज़राना
वट
जवाब देंहटाएंआस्था है
एक दिन में
गहराई नहीं हैं
इसकी जड़ें
इस अभिव्यक्ति का प्रत्येक शब्द अक्षरश: सत्य ...बहुत ही अच्छा लिखा है ।
सभी बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंअरुण जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
....बहुत सटीक प्रस्तुति बहुत सार्थक लिखा है आपने |
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
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