मंगलवार, 14 जुलाई 2009

क्योंकि होने वाला है खेल

कट रहे हैं पेड़
क्योंकि होने वाला है खेल

यमुना के पेट में
लगा रहे हैं सेंध
क्योंकि होने वाला है खेल

क्योंकि होने वाला है खेल
इन्हे है सारी आज़ादी
खोद खोद कर कर दें
धरती की बर्बादी

अपनी धरती अपनी प्रकृति
रही है इससे झेल
क्योकि होने वाला है खेल

ध्यान इन्हे नही जरा भी
क्या होगे परिणाम
अभी तो मानसून लेट हुआ है
पहुंचेगा और बहुत नुक्सान

सोचो क्या होगा जब
प्रकृति करेगी हमसे ऐसा खेल
कहाँ रहेंगे हम
और कहाँ तुम्हारा खेल

14 टिप्‍पणियां:

  1. प्रकृति ने तो खेल शुरू कर दिया है। हम नियति मानते हैं पर है प्रकृति ही। मेट्रो पुल इस सर्वनाश की दास्‍तां चीख चीख कर कह रही है। पर मानव के कानों पर न जूं, न चींटी रेंग रही है और मच्‍छर गुनगुन कर रहे हैं।

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  2. Kitna saty hai..! Ped pahadiya kaatke, lambe chaude raaste banana yaa, maidan banana..ye pragati nahee adhigati hai...! Qudratka shrap ham sabhee jhel rahe hain..! In pedonko dharashayee karnewale, mrutyushayyape khudko kadee dhoop me payenge..!

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  3. प्रकृ्ति के लिये संवेदनशील मन की भावनाओं को दर्शाति सुन्दर रचना बधाई

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  4. बढिया रचना......। प्रकृति से हम खेल कर रहे हैं तो इसमें कोई शक नहीं कि एक दिन प्रकृति भी हमें इस खेल के रंग दिखाएगी। और शायद जल्दी ही......
    पीयूष पांडे

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  5. सोचने को मजबूर करती एक खूबसूरत रचना लेकिन ये भी सही है कि वक्त के साथ चलना भी तो ज़रूरी है....

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  6. bahut khob. kavita ko samajhne ke liye bhavuk man ki jaroorat hoti hai. joki ab hamare netao mein nahi raha. bechara kavi kare to kya kare? lekin apni jimmewari to poori karni hi hogi. kavita ke liye badhai

    Renu Khantwal

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  7. really liked this work of urs.......
    so nicely but still ironically....emphasising the...attention of people on NATURE and its ill-handling ....connoting to outcome which might be awaiting...LIKED it lot

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  8. बहुत खूबसूरत प्रकृति कि तरफ से आगाह करती हुई कि अभी भी वक्त है सम्भाल जाओ फिर न कहना मैंने सुचना नहीं दी ?
    बहुत खूबसूरत रचना दोस्त जी :)

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  9. विचारणीय रचना...
    हम प्रकृतिक संतुलन के साथ खेल रहे ... जिस दिन प्रकृति अपना संतुलन खो बैठेगी उस दिन केवल वही खेलेगी...
    सादर...

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  10. प्रासंगिक और सटीक अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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