बुधवार, 19 अगस्त 2009

स्टॉक एक्सचेंज बताते है देश का मिजाज

अब
जरुरत तय नही करते
मूल्य जिंसों का
स्टॉक एक्सचेंज के हाथ में
है रिमोट जिंदगी का

मानसून
प्रभवित नही करते
अर्थ व्यवस्था
किसानों व कामगारों की थाली से
नही मापी जाती है भूख

चढते स्टॉक एक्सचेंज
लुढ़कते स्टॉक एक्सचेंज
बताते हैं देश का मिजाज

बाढ़ में डूबे खेत
सूखे खलिहान
दंगों
भूखमरी
कुपोषित माँ और उनके बच्चे
बेरोजगार युवा कन्धों को
इन् में शामिल नही किया जाता

एस एम् एस से तय होता है
बाज़ार का रूख
और अखबार कहते हैं
जींस में तेजी है
मूल्य स्थिर हैं
कोई भूखा नही सो रहा है !

टी आर पी के लिए होते हैं
सर्वेक्षण
इनके लिए
जरुरत नही

अब जरुरत तय नही करते
मूल्य जिंसों का
स्टोक एक्सचेंज के हाथ में है
रिमोट जिंदगी का

8 टिप्‍पणियां:

  1. मूल्य स्थिर हैं...
    कोई भूखा नही सो रहा है !

    सुन्दर रचना
    सादर बधाई....

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  2. yahi to humare desh ka durbhaagya hai...prashasan yesa shochta hai ki koi bhookha nahi so raha..kyuonki jhopdiyon ,footpathon par jaakar to prashasan kabhi dekh nahi raha ki vo kya kha rahe hain...aapki bahut vicharniye post.

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  3. आ. राजेश जी की टिप्पणी से सहमत इन विचारों को मेरा भी समझें।

    सादर

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  4. वाह! जी वाह! आप तो कमाल कर रहे हैं.
    स्टोक एक्सचेंज के हाथ में रिमोट थमा
    किस किस को मालामाल कर रहे हैं.

    आपकी सुन्दर प्रस्तुति हर बार दिल चुरा लेती है.
    एफ.आई.आर. कहाँ करू अरुण जी ?

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  5. बहुत सुंदर
    क्या कहने।
    आपको पढना वाकई आनंददायी है

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  6. अब
    जरुरत तय नही करते
    मूल्य जिंसों का
    स्टॉक एक्सचेंज के हाथ में
    है रिमोट जिंदगी का

    bahut khoob....!!

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