सरोकार
गुरुवार, 7 जनवरी 2010
तुम्हारे क़दमों के निशा
अब तक हैं
तुम्हारे क़दमों के निशा यहाँ
अब तक है
तुम्हारी खुशबू
इन् वादियों में
इक बीज जो बोकर गई थी तुम
इस बगीचे में
आज पेड़ बनकर
छाया देता है
मेरे दिल को
3 टिप्पणियां:
अजय कुमार
गुरुवार, जनवरी 07, 2010
दिल के सुंदर एहसास
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रश्मि प्रभा...
शुक्रवार, जनवरी 08, 2010
और तुम याद आती हो
कभी खुशबू में
कभी पौधे सी ...........
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vandan gupta
शुक्रवार, जनवरी 08, 2010
bahut hi sundar ahsaas.
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दिल के सुंदर एहसास
जवाब देंहटाएंऔर तुम याद आती हो
जवाब देंहटाएंकभी खुशबू में
कभी पौधे सी ...........
bahut hi sundar ahsaas.
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