गुरुवार, 1 जुलाई 2010

लौटा दो मेरा बस्तर

बस्तर
तुमने मुझे शर्मशार कर दिया
तुम्हारे नाम से डरते हैं
मेरे बच्चे
पत्नी कभी लौट कर
आने को नहीं कहती
सुना है
पत्ते काले पड़ गए हैं
और हवा में जलते हुए मांस के बदबू आती है
मेरे बस्तर
ऐसे तो ना थे तुम
ना ही ऐसे बस्तर की
कल्पना की थी हमने

लाल रंग
हमारा जीवन था
उर्जा था
आशा का प्रतीक था
नए सूरज का द्योतक था
लेकिन
मेरे लाल रंग को
क्यों कर दिया तुमने बदरंग
मेरे बस्तर
ऐसे तो ना थे तुम

भूख जरुर थी
लेकिन मानुष के खून के भूखे तो ना थे हम
नया सवेरा जरुर चाहते थे हम
लेकिन इतना अँधेरा तो नहीं था
मेरे सपनो की सुबह
मेरे बस्तर
ऐसे तो ना थे तुम

लौटा दो मेरा बस्तर
शांत सहज सरल सौम्य बस्तर

19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खुब अरुन जि ह्र्दय कि अकुलहत को जिस तरह से आप ने शब्द दिये है अद्भुद है
    सादर
    प्रवीन पथिक
    9971969084

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  2. aapki har rachna tajgi se paripurn hai..saral shbdon ka gehan arth liye!

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  3. मन की पीड़ा सहज ही निकली है इस रचना में....बहुत सुन्दर और संवेदनशील अभिव्यक्ति ...

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  4. लेकिन मानुष के खून के भूखे तो ना थे हम
    ye bhookh abhi naa jaane kitno ko khaayegi ,behad marmik rachnaa

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  5. पीड़ा स्पष्ट झलक रही है. काश!! वो पुराना बस्तर लौट पाये. बस, प्रार्थना की जा सकती है.

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  6. बस्तर के दर्द का साकार चित्रण - बधाई

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  7. बहुत खूब
    बस्तर की पीड़ा को आपने शब्दों में पिरोया।

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  8. सामाजिक समस्याओं का इतना सरलीकरण मत करो .बरसों से दबे -कुचले लोगों का पक्ष भी जान लो .सशस्त्र सेनाओं के आगे जो सीना तान कर खड़े हैं ,उनके सामने तो खतरे ही खतरे हैं .फिर भी वो लड़ रहे हैं ...कोई तो वज़ह ज़रूर होगी .आर्मी देर या सवेर अपनी कार्यवाही करेगी ही .सरकार तो अपने पक्ष में माहोल बना रही है ताकि माओवादिओं के खिलाफ बर्बर कार्यवाही को जस्टिफाई कर सके .ध्यान से देखो तुम्हारी कविता किस वर्ग की पक्ष्धारिता कर रही है ?
    बुरा मत मानना खालिस तारीफ कना मुझे नहीं आता.

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  9. bahut jabaat ke sath dard chhipa dekha ...aap dard ko ukerne me safal huye

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  10. भूख जरुर थी
    लेकिन मानुष के खून के भूखे तो ना थे हम
    नया सवेरा जरुर चाहते थे हम
    लेकिन इतना अँधेरा तो नहीं था
    मेरे सपनो की सुबह
    मेरे बस्तर
    ऐसे तो ना थे तुम
    बहुत ही सुन्दर रचना। बस्तर तो होते जा रहा है बदतर।

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  11. लौटा दो मेरा बस्तर
    शांत सहज सरल सौम्य बस्तर ........ Aman ke liye vyakul bhav.... prasangik rachna..... sadhuvaad.....

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  12. बेहद संवेदनशील रचना ..मन की पीड़ा को बेहतरीन शब्द दिए हैं.

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  13. लौटा दो मेरा बस्तर
    शांत सहज सरल सौम्य बस्तर

    is aahwaan par lautega... bastar mahua se mahak kar lautega :)

    bahut khub likha aapne...antas tak utarte shabd

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  14. bastar ki asahjata ko sahaj roop me prastut kiya hai aapne.
    har jagah sahajta ho isi bhavna ke sath....shubhkamnayen....

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  15. पहले लाल सलाम और बस्तर लौटा दो!!!!!!!!!!!!!!!! क्या खूब. पर कह किससे रहे हो, कोई सुन भी रहा है क्या ????????? ...

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  16. बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

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