मंगलवार, 30 जून 2015

आत्महत्या




चीटियाँ 
मर जाती हैं 
कतार में चलते हुए 

डूब जाती है 
गौरैया 
चोच में लिए तिनका 
नदी की लहरो में फंस कर 

गिलहरी 
शिकार हो जाती है 
बंदरों के झपट्टे के 

कुचल कर मारा जाता है 
बेनाम बूढा 
किसी रेलवे स्टेशन पर 
धक्का मुक्की में 

और 
हमारे चारोओर 
बिछे हुए हैं 
तमाम लैंडमाइंस 
फरेब और धोखे के 
और इसके चपेट में आने वाली 
घटनाओ को कहा जाता है 
आत्महत्या 

हम मारे नहीं जाएंगे कभी !!! 

7 टिप्‍पणियां:

  1. कटु सत्य ... मारे जाने के साथ मर जाने का पाप भी हमारे ही सर रहने वाला है ...
    आज के ताजे सच की सटीक अभिव्यक्ति ...

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  2. एक कटु सत्य...कुछ ही शब्दों में बहुत कुछ कह दिया...

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