रविवार, 6 जनवरी 2019

अपेक्षा

1
बीज से
वृक्ष की अपेक्षा
वृक्ष से
फल की अपेक्षा
फल से पुनः
बीज की अपेक्षा

2
दीप से
रोशनी की अपेक्षा
रोशनी से
तिमिर के अंत की अपेक्षा
तिमिर के अंत होने से
नई भोर की अपेक्षा।

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (07-01-2019) को "मुहब्बत और इश्क में अंतर" (चर्चा अंक-3209) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. अपेक्षा और इक्छा ही तो लोगों को ज़िंदा रखती हैं।
    सुंदर पँक्तियाँ लिखी है आपने।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.blogspot.in

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  3. जीवन चक्र ही तो यही है ... आशा अपेक्षा फिर सबका अंत ...

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