रविवार, 16 जून 2024

पिता के कंधे

पिता के कंधे 
बने होते हैं 
इस्पात के ।

वे टूटते नहीं 
हवा, पानी या 
घाम से 
बल्कि बोझ के साथ
होते जाते हैं 
और अधिक पक्के ।

पिता के कंधे
बोझ से झुकते नहीं 
बल्कि और तन कर
हो जाते हैं खरे। 

बूढ़े होते पिता के कंधे
आश्श्वस्ति भरे हाथों को 
अपने कंधे पर पाकर 
चौड़े हो जाते हैं 
विशाल हो जाते हैं
आसमान हो जाते हैं। 

7 टिप्‍पणियां:

  1. गहन भावाभिव्यक्ति सर।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १८ जून २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी मेरी कविता को शामिल करने के लिए।

      हटाएं
  2. खूबसूरत प्रस्तुति आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं