गुरुवार, 20 फ़रवरी 2025

गालियां खाने वाली स्त्रियाँ

स्त्रियाँ खूब गाली खाती हैं 
क्योंकि मैं अपने आसपास देखता हूँ कि 
कितने ही पुरुष बिना गालियों के बात ही कर पाते 

उनकी बातें शुरू होती हैं गालियों से 
और खत्म भी होती हैं वहीं 
वे फर्क नहीं कर पाते अपनी माँ और बहनों 
और दूसरों की माँ और बहनों के बीच 


उनकी गालियों से अछूते नहीं रहते 
माँ, बहन, पड़ोसी, सहकर्मी या कोई अंजान स्त्री ही 
जिससे वे कभी मिले नहीं । 

वे राजनीति पर बहस करते हुये 
गालियां देते हैं 
वे गुस्सा आने पर भी 
गालियां देते हैं 
वे शादी, ब्याह या जन्मदिन जैसे शुभ अवसरों पर भी 
गालियां देते हैं 
बात बात में, बिना बात के भी । 

ऐसे पुरुषों के बीच रहकर 
स्त्रियाँ गालियां खाती ही आई हैं 
सदियों से 
और अब यह शामिल हो गया है 
उनकी आदतों में 
जिस दिन वे गालियां नहीं खातीं 
शायद उन्हें स्वयं भी विश्वास नहीं होता होगा । 

स्त्रियाँ गालियां खाती हैं 
जब वे घर में रहती हैं
स्त्रियाँ गाली खाती हैं 
जब वे बाहर रहती हैं 
गृहणी भी गालियां खाती हैं 
कॉर्पोरेट में काम करने वाली पेशेवर लड़कियां भी 
खाती हैं गालियां । 

स्त्रियाँ गालियां खाती हैं
अपनी गलतियों पर 
दूसरों की गलतियों पर 
यहाँ तक कि वे गालियां खाती हैं 
अच्छे काम के लिए 
औरों से बेहतर काम के लिए 
जब वे तेजी से आगे बढ़ रही होती हैं 
वे पीछे गालियां खा रही होती हैं । 

स्त्रियॉं गालियां खाती हैं 
अपने मुंह पर आमने सामने 
स्त्रियाँ गालियां खाती हैं 
अपने पीठ पीछे । 

अक्सर गालियों से भागने के लिए 
स्त्रियाँ प्रेम में पड़ जाती हैं 
और विडम्बना देखिये कि 
प्रेम पड़ने वाली स्त्रियाँ 
चौतरफा गाली खाती हैं 
प्रेम में पड़ने से पहले भी 
और प्रेम में पड़ने के बाद भी । 

दुर्भाग्य तो देखिये कि 
स्वयं स्त्रियाँ भी देती हैं 
दूसरी स्त्री को 
परिवार में, समाज में 

पुरुषों की कमजोरियों से उपजी गालियां 
सदियों से खा रही हैं स्त्रियाँ 
और वे अब भी ढीठ नहीं हुई हैं 
इस गालियों के प्रति 
वे रोती हैं और 
कहते हैं रोने वाली आँखें 
होती हैं बहुत सुंदर ! 

अब मुझे सुंदर आँखों के पीछे 
समंदर दिखता है 
खारा और हाहाकार करता हुआ ! 


3 टिप्‍पणियां:

  1. क्रोध,उत्तेजना,आवेश ,
    दुःख यह बेबसी में कहे गये अपशब्दों को
    गाँठ बाँधकर रखता मन भी जानता है
    देह या मन से नहीं चिपटते है
    शब्द या अपशब्द
    फिर भी रोता,बिसूरता
    बुरा मानता है
    क्योंकि वो बुद्ध नहीं है।
    सादर।
    ------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २१ फरवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. क्रोध,उत्तेजना,आवेश ,
    दुःख यह बेबसी में कहे गये अपशब्दों को
    गाँठ बाँधकर रखता मन भी जानता है
    देह या मन से नहीं चिपटते है
    शब्द या अपशब्द
    फिर भी रोता,बिसूरता
    बुरा मानता है
    क्योंकि वो बुद्ध नहीं है।
    सादर।
    ------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २१ फरवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. वाह। समसामयिक सच का सजीव चित्र। पता नहीं इस मध्य कालीन विकृति से यह कुरूप पुरुष मानसिकता कब उबरेगी!

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