कविता
मात्र शब्दों का विम्ब नहीं
यथार्थ के धरातल पर
उछली गई वह गेंद है
जो बार बार टकरा कर
प्रश्नों से
बिखरी हुई है चारो ओर
कविता
पूछती है
अर्थ
आदमी के आदमी होने का
और तमतमाए चेहरे से
भयभीत नहीं है यह
तुम्हारा भ्रम है कि
कविता गोसिप है
या टूटे दिलो के अवसादों पर
चढ़ाई जाने वाली लेप है यह।
मना कि
कविता क्रांति नहीं है
लेकिन तैयार करती है
क्रांति के लिए
उपयुक्त और पर्याप्त जमीन
और बोली है यह
भविष्य की जो
तुम्हे दिख नहीं रही
कविता
किसी बाला के उलझे बालो को
सुलझाने वाली गीत भी नहीं है
या उसकी गहरी नीली आँखों के रास्ते
दिल तक उतरने का साधन भी नहीं
कविता
कर्ण की वोह मंत्र शक्ति है
जो भूलता जा रहा है वह
परुशराम के शाप से
ए़क और महाभारत के युद्ध में
कविता
तुम्हारी धमनियों में
मूल्यों को प्रवाहित करने का
एकमात्र अस्त्र है
जिसके आभाव में
चेहरों पर
उग आयी है कई कई परते
और उगते आ रहे हैं
आँखों में लम्बे लम्बे नाखून
कविता
बड़े बड़े सभागारों में
चाय काफी की चुस्कियों के साथ
बहस का विषय भी नहीं है
या फिर
किसी पीली पत्रिका में
पूरी रंगीनियत के साथ
खुदे कुछ शब्द।
इन सबसे ऊपर
कविता वह फर्क है
जिससे तुम्हारी नजरे
नहीं ढूंढ पा रही
जैसे
मिटटी
पानी
हवा
रंग
आग
आकाश
मैं
माँ
तुम
और तुम भी
कविता की
यह अबाध सीमा है
फिर भी
कैद नहीं है
कविता
कविता की
जवाब देंहटाएंयह अबाध सीमा है
फिर भी
कैद नहीं है
कविता .sunder, ati sunder.
मैं
जवाब देंहटाएंमाँ
तुम
और तुम भी
bahut sundar
http://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat
अति सुन्दर!
जवाब देंहटाएंशब्दों को कैसे अर्थ निकालने के लिए मजबूर कर दिया है आपने!
"कविता की एक पूर्ण परिभाषा"
वास्तविकता में ही बहुत बढ़िया रचना.....
कुंवर जी,
kin shabdo mein tarif karoon.........kavita kya hoti hai , uska marm kya hai ............bakhubi bayan kar diya.............gazab ki prastuti.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...मौलिक सोच...कविता का नया अंदाज सोचने को प्रेरित करता है.
जवाब देंहटाएंकविता
जवाब देंहटाएंमात्र शब्दों का विम्ब नहीं
कविता
कर्ण की मंत्र शक्ति है
aur isi shakti ko yaad rakhna hai
गज़ब की जादूगरी शब्दों से !!!!!!!!!!!!!वाह.. वाह वाह अब और क्या कहूँ कमाल की छटा बिखेरी है नायाब,लाजवाब.
जवाब देंहटाएंसबसे अच्छी बात तो ये है कि
"तुम्हारा भ्रम है कि
कविता गोसिप है
या टूटे दिलो के अवसादों पर
चढ़ाई जाने वाली लेप है यह।"
सबको ऐसा ही लगता है कि कविता लिखने वाले सब दुखी आत्मा,प्रताड़ित अवसाद से घिरे या फिर टूटा हुआ दिल ले के घूमते हैं जब कि सत्य इस कविता ने उजागर किया है
"इन सबसे ऊपर
कविता वह फर्क है
जिससे तुम्हारी नजरे
नहीं ढूंढ पा रही
जैसे
मिटटी
पानी
हवा
रंग
आग
आकाश
मैं
माँ
तुम
और तुम भी
कविता की
यह अबाध सीमा है
फिर भी
कैद नहीं है
कविता"
कविता
जवाब देंहटाएंमात्र शब्दों का विम्ब नहीं.......
कविता
पूछती है
अर्थ...........
vyapak arth ko samete huye hai aapki kavita.. bahut sunder..........
कविता क्रांति नहीं है
जवाब देंहटाएंलेकिन तैयार करती है
क्रांति के लिए
उपयुक्त और पर्याप्त जमीन
bhaut umda rachna hai, aise lag raha hai , kavita ne sakar roop le kar apni vyatha gayi ho...