जब भी
लिखा जाएगा
शहर का इतिहास
रखे जायेंगे
हाशिये के पार
कुछ लोग।
खातों में होंगे
दर्ज
कुछ खर्च
नहीं दर्ज होगा
असमय गिरे गर्भ
ईटो के बोझ तले
और
कोई हिसाब नहीं होगा
चट्टानों के बोझ के नीचे
उपजे बावासीरों का
प्राचीरों की नीव में
द्फ्ने
सपनो
हंसी
पसीनो का
कोई हिसाब
नहीं होगा
हां
हिसाब होगा
सीमेंट की बोरियों का।
और
किये जायेंगे
बही खाते
नहीं सुनी जायेगी
चौकीदार की फ़रियाद
जो पत्नी को ना ले जा पाया
समय पर हॉस्पिटल
और रास्ते में ही
दम तोड़ दी थी वह
पहले बच्चे को जन्म देते हुए।
जब भी
लिखा जाएगा
शहर का इतिहास
रखे जायेंगे
हाशिये के पार
कुछ लोग।
कटु यथार्थ की कविता !!!
जवाब देंहटाएंसच्चाई उजागर कर दी आपने रचना के माध्यम से.
जवाब देंहटाएंप्राचीरों की नीव में
जवाब देंहटाएंद्फ्ने
सपनो
हंसी
पसीनो का
कोई हिसाब
नहीं होगा
हां
हिसाब होगा
सीमेंट अस्पताल बोरियों का.....
शब्दों में धार है और गहरी पकड़ भी ......सशक्त रचना ......!!
नहीं सुनी जायेगी
जवाब देंहटाएंचौकीदार की फ़रियाद
जो पत्नी को ना ले जा पाया
समय पर हॉस्पिटल
और रास्ते में ही
दम तोड़ दी थी वह
पहले बच्चे को जन्म देते हुए।
बहुत बेहतरीन प्रस्तुती.मन के भाव कितनी सहजता के साथ सामने आये है.जीवन का सत्य यही है उसे ऐसे ही स्वीकारना पड़ेगा पर ऐसा न हो इसके लिए प्रयत्न शील भी होने की जरुरत है
नीवं के पत्थरों की नीयति ही है दफ़न होकर सतह पर खड़ी ईमारत को ताकत और संबल प्रदान करना.अगर हासिये पर लोग नहीं रखे जायेंगे तो न तो सहर होगा और न ही शहर का इतिहास.इस सचका कोई विकल्प नहीं है.जीवन की सच्चाई को बयां करती एक बेहद सुंदर रचना .
जवाब देंहटाएंप्राचीरों की नीव में
जवाब देंहटाएंद्फ्ने
सपनो
हंसी
पसीनो का
कोई हिसाब
नहीं होगा
हां
हिसाब होगा
सीमेंट की बोरियों का।
आक्रोश उस समाज के प्रति जो आज को एक धुंधले इतिहास मे बदलता देख रहा है पर कुछ कर नहीं रहा उसके संगरक्षण के लिए... बहुत सटीक रचना है...
कोई हिसाब नहीं होगा
जवाब देंहटाएंचट्टानों के बोझ के नीचे
उपजे बावासीरों का
चोट करती रचना, अलग से बिम्ब
बहुत सुन्दर
सच में अरुण जी यथार्त की कडवी सच्चाई को अपने उन्नत प्रवाह और शब्दों की तीखी लय से जो आपने बंधा है अदभुद है
जवाब देंहटाएंसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
पहली बार आपको पढ़ा है !
जवाब देंहटाएंमार्मिक !
हां लगता है अच्छे दिल के इन्सान हो !
सादर
सुन्दर रचना है ! बधाई ! यथार्थ का सही चित्रण है । दुनिया ऐसी ही है, यहाँ लढते और मरते हैं सेना पर जीतता है सिकंदर !
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आकर टिपण्णी देने के लिए शुक्रिया ! दुबारा ज़रूर आइयेगा !
उम्दा रचना ...
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