प्रिये
बहुत दिनों बाद
कल रात मुझे आयी नींद
और नींद में देखा सपना
सपना भी अजीब था
सपने में देखि नदी
नदी पर देखा बाँध
देखा बहते पानी को ठहरा
नदी की प्रकृति के बिल्कुल विपरीत
बहुत दिनों बाद
कल रात मुझे आयी नींद
मैं तो डर गया था
रुकी नदी को देख कर
सपने में देखा कई लोग
हँसते, हंस कर लोट-पोत होते लोग
रुकी हुई नदी के तट पर जश्न मानते लोग
नदी को रुके देख खुश हो रहे थे लोग
थोक रहे थे एक दूसरे की पीठ
जीत का जश्न मन रहे थे लोग
प्रिये
रुकी नदी पर हँसते लोगों को देख कर
भयावह लग रहे थे लोग
बहुत दिनों बाद
कल रात मुझे आयी नींद
सपने में देखा साप
काला और मोटा साप
रुकी नदी के ताल में पलता यह साप
हँसते हुए लोगों ने पाल रखा है यह साप
मैं तो डर गया था
मोटे और काले साप को देख कर
बहुत दिनों बाद
कल रात मुझे आयी नींद
प्रिये
मैं तोड़ रहा था यह बाँध
खोल रहा था नदी का प्रवाह
मारना चाहता था काले और मोटे साप को
ताकि
नदी रुके नहीं
नदी बहे , नदी हँसे
नदी हँसे ए़क पूर्ण और उन्मुक्त हंसी
और लहरा कर लिपट जाये मुझ से
बहुत दिनों बाद
कल रात मुझे आयी नींद
प्रिये
कल रात sapne में हंसी थी नदी
मुझसे लिपट कर ए़क उन्मुक्त हंसी
और नदी बोली
कोई पूछे तो कहना
रुकना नदी की प्रकृति नही....
रुकना नदी की प्रकृति नही...
Wah.....rukna nadi ka kam nahi.
जवाब देंहटाएंbahut khub..!
taaki nadi ruke nahi,nadi bahe nadi hanse,ek poorn aur unmukt hansi.bahut khub unmuktata ki chhatpatahat ko vyakt karna.
जवाब देंहटाएंकल रात sapne में हंसी थी नदी
जवाब देंहटाएंमुझसे लिपट कर ए़क उन्मुक्त हंसी
और नदी बोली
कोई पूछे तो कहना
रुकना नदी की प्रकृति नही....
रुकना नदी की प्रकृति नही..sach me vyapak jivan darshan hai yahan
हर परिस्थीती में नदी मार्ग निकालकर बहती है
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना