बैठ सूखे खेत की मेड़ पर
घड़ियाँ टिक टिक नहीं करती
समय ठहर जाता है
आँखों के सूनेपन के भय से
यहाँ से
आसमान का रंग
दिखता है काला
लेकिन बादलों से भरा नहीं
चिड़िया लौट जाती हैं
भूखे पेट
थके हुए डैने लेकर और
चूहों के बिल
खाली रहते हैं
आँगन के पसरे सन्नाटे की तरह
किसान के अनाजघर की तरह
सूखे खेत की मेड़ पर
नहीं उगती दूब
खर या पतवार भी
समय ठहर जाता है यहाँ .
चिड़िया लौट जाती हैं
जवाब देंहटाएंभूखे पेट
थके हुए डैने लेकर और
चूहों के बिल
खाली रहते हैं
आँगन के पसरे सन्नाटे की तरह
किसान के अनाजघर की तरह
... बहुत बढ़िया
सूखे खेत की मेड़ पर
जवाब देंहटाएंनहीं उगती दूब
खर या पतवार भी....
बहुत सुंदर प्रस्तुति,..
my recent post....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
मैने तो सुना है...
जवाब देंहटाएंपत्थरों में भी
उग आती है
दूब।
सुन्दर...
जवाब देंहटाएंहर बार एक नया अन्दाज़ होता है जो सोचने को मजबूर करता है।
जवाब देंहटाएंसूखे खेत की मेड़ पर
जवाब देंहटाएंनहीं उगती दूब
खर या पतवार भी.
/
गुलज़ार साहब याद आ गये.. वे कहते हैं कि उस मेंड की कोख अगर न कुचली गई होती, तो उसकी भी "बेटी" ब्याहने लायक होती!!
/
बहुत ही संवेदनशील कविता!!
इस दृश्य की कल्पना से ही समय ठहर गया सा लगता है!
जवाब देंहटाएंयथार्थ को कहती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंव्यापक परिदृश्य में इस कविता को देखा जाए तो आज सारा देश ही सूखे खेत की मेड़ की तरह हो गया है और महंगाई और भ्रष्टाचार के ताप से हमारे मन जीवन की मुस्काने, चहचहाहट और टिक-टिक गायब है और एक सन्नाटा चतुर्दिक पसरा हुआ है।
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya, shandar
जवाब देंहटाएंरोचक |
जवाब देंहटाएंसादर नमन |
आभार ||
आपकी लेखनी बहुत प्रभावित करती है...भाषा और भाव पर आपका अधिकार अद्भुत है...इस रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
क्योंकि इनके प्रश्न स्तब्ध कर देने वाले हो जाते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सहज शब्दों में कितनी गहरी बात कह दी आपने..... खुबसूरत अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंसूखे खेत और खाली बादल किस काम के...?
जवाब देंहटाएंwah.....
जवाब देंहटाएंसूखे खेत और खाली बादल भी जरूरी होते हैं
जवाब देंहटाएंआपदाग्रस्त के बजट की वही तो खाना पूरी होते हैं ।
सूखे खेत की मेड़ पर
जवाब देंहटाएंनहीं उगती दूब
खर या पतवार भी
समय ठहर जाता है यहाँ .
Kaisi vidambana hai ye!
सूखे इसलिए रहे क्योंकि सींचे नहीं गए
जवाब देंहटाएंसींचे इसलिए नहीं गए क्योंकि साधन नहीं थे
ऐसी कवितायेँ ही मन में उतरती हैं ॥
जवाब देंहटाएंमन को छूने वाली रचना...
जवाब देंहटाएंबधाई आपको ..
मन को छूने वाली रचना...
जवाब देंहटाएंबधाई आपको ..
jeevant kavita.. sirf shabdo ka jamavada nhi hai ye..
जवाब देंहटाएं