गुरुवार, 3 जनवरी 2019

आंखों में मछलियां



आँखों में बसी मछलियां 
चाहती हैं तैरना बहती नदी में 
आँखों के पीछे के अंधेरापन का संगीत 
उन्हें फांस सा लगता है 

वे मचल कर बाहर आना चाहती हैं 
आंसूओं के साथ
प्रवाहमान होने का सपना 
आखिर किसे नहीं ! 

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (05-01-2019) को "साक्षात्कार की समीक्षा" (चर्चा अंक-3207) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. काश प्रवाहमान होते हुए आंसू संग रहे उन मछलियों के ...
    नव वर्ष मंगल हो ...

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