1.
सत्ता के झुकने से
मजबूत होती है
लोकतंत्र की रीढ़।
2.
विरोध प्रदर्शन
हमेशा विरोध ही नहीं होते
कई बार ये लाते है
लोकतंत्र की हड्डियों में
लचीलापन।
3.
जनता की आवाज़
समय समय पर
होती रहनी चाहिए ऊंची
इससे पता चलता रहता है कि
लोकतंत्र नहीं हो रहा है
बहरा।
****
:)
जवाब देंहटाएंकल्पनायें अच्छी हैं।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 10 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ११ दिसंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
लोकतंत्र राजतंत्र में बदल जाये तो...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
क्षमा सहित कौनसा लोकतंत्र बचा है लाठी वालों की भैंस!!;
जवाब देंहटाएंवैसे लोकतंत्र के लिए ये बहुत ही सार्थक चिंतन है ।