साल तुम जाओ अब
जाते हुए तुम लेते जाओ
सब उदासियाँ और अँधेरे
मजदूरों की बेकारी लेकर जाओ
जाओ लेकर किसानों से साथ होने वाला
विश्वासघात
मशीनों के पुर्जों की घिसान भी लेकर जाना
और लेकर जाना अबोलापन और अकेलापन
आदमी और आदमी के बीच का .
धर्म भी लेते जाओ तुम साथ अपने
लेते जाओ तुम घृणा भी
क्योंकि इनके बिना आदमी लागता है
अधिक आदमी , अधिक मानवीय
न जाने कितने पेड़ हमने काटे दुनिया भर में
लाखों एकड़ जंगल जलने के कारण बने हम
हो सके तो ले जाओ तुम अपने साथ
दुनिया भर की वे मशीने जो
जमीदोज करती हैं पेड़ पहाड़ पर्यावरण .
जाते हुए साल तुम साथ लेजाओ
सब बीमारियाँ , सब रुदन
छोड़ जाओ थोडा रंग बच्चों के मन में
कुछ अच्छे बीज मानवता के जिन्हें उगा
नए साल को हम बना सकें हरा-भरा .
विदा 2020.
अपनी परछाइयों को लौटने नहीं देना नए साल में
बस इतनी सी प्रार्थना है .
ठठरी बंध जाय सदा-सदा के लिए २०२० की, फिर लौट के न आये किसी रूप में, यही विनय है ईश्वर से
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सामयिक रचना
नया साल सबके लिए मंगलकारी हो, यही प्रार्थना करते हैं
सुन्दर सृजन।
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