रविवार, 3 जनवरी 2021

किसान

मिट्टी से खेलता हूं
मिट्टी में पलता हूं
किसान हूं मैं
मिट्टी में मिल जाता हूं। 

मिट्टी से शुरू कहानी
मिट्टी में खत्म होती है
किसान हूं मैं
मिट्टी के गीत गाता हूं
मिट्टी में मिल जाता हूं। 

मिट्टी मेरे खून में
मिट्टी मेरी धमनियों में
किसान हूं मैं
मिट्टी की सांसें लेता हूं
मिट्टी में मिल जाता हूं। 

10 टिप्‍पणियां:

  1. :) मिट्टी में मिलाता हूं मैं भी मिट्टी हो जाउंगा कभी भूल जाता हूं ।

    नव वर्ष मंगलमय हो। सुन्दर सृजन।

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  2. सकारात्मक सोच, सुन्दर रचना।
    --
    नूतन वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  3. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (5-12-20) को "रचनाएँ रचवाती हो"'(चर्चा अंक-3937) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा

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  4. अन्नदाता के लिए सुंदर पंक्तियाँ।

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  5. मिट्टी से खेलता हूं
    मिट्टी में पलता हूं
    किसान हूं मैं
    मिट्टी में मिल जाता हूं।

    कृषक जीवन को रेखांकित करती सुंदर रचना अरुण चन्द्र रॉय जी 🌹🙏🌹

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