हर दिन पर्यावरण दिवस है . सम्पूर्ण प्रकृति से प्रेम करने का दिवस . पढ़िए अरुण चन्द्र रॉय की कविता वृक्ष
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वे किसी वृक्ष के तने से लगकर गले
महसूस कर सकते हैं
पिता को .
जिन्होंने मां के आँचल का सुकून
नहीं किया महसूस कभी
वे किसी वृक्ष के घने छाये से लिपट कर
समझ सकते हैं मां को .
फल फूलों से लकदक वृक्ष की शाखाओं से
जाना जा सकता है किसी सच्चे दोस्त का
निःस्वार्थ प्रेम .
कटकर किसी चूल्हे का इंधन हो जाना
वृक्ष का दधीचि हो जाना होता है
कहाँ कोई है वृक्ष सा कोई संत !
और अंत में साथ में जलकर शरीर को आत्मसात कर लेने वाला भी वृक्ष।
जवाब देंहटाएंकितनी गहराई इस रचना में .... बहुत भावप्रवण .
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर सृजन
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