जनता
देती है अपना मत
जनता
चुनती है अपना प्रतिनिधि
प्रतिनिधि फिर
बन जाते हैं मंत्री
मंत्री को मिलती है
गाड़ी, बंगला, भत्ता
मंत्री के फैसलों का लाभ
जनता को मिले न मिले
कंपनियों को जरूर मिलता है।
बदले में कंपनियां मंत्री को
देती हैं चंदा
जिस चंदे हैं वे लड़ते हैं चुनाव
जिसमें जनता देती है मत।
सत्ता का यह पहिया
गति में है जबकि ठहरी हुई है
जनता ।
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