गुरुवार, 15 सितंबर 2022

मां का नहीं होना

 मां के नहीं होने 

और होने के बीच का अन्तर 

मां के रहते 

कभी समझ नहीं आता

और जब समझ में आता है

मां फिसल जाती है 

समय की मुट्ठी से 

 रेत की तरह

 मुट्ठी से फिसला हुआ रेत

कब लौटा है मुट्ठी में। 











4 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 16 सितंबर 2022 को 'आप को फ़ुरसत कहाँ' (चर्चा अंक 4553) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

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