सूरज के होते हुए भी
पसरा होता है अंधेरा
चांद के होते हुए
नहीं होती शीतलता
नर्म दूब जब लगे
तपता अंगारो सा
फिर लगता है क्या होता है
मां का नहीं होना।
सादर नमस्कार , आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-9-22} को विश्वकर्मा भगवान का वंदन" (चर्चा अंक 4555) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी। ------------कामिनी सिन्हा
सत्य है।
छोटी सी रचना में गहन हृदय स्पर्शी भाव।
मार्मिक कम शब्दों में गहरी बात
बहुत सुन्दर
छोटी से रचना में सारगर्भित भाव!--ब्रजेन्द्र नाथ
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-9-22} को विश्वकर्मा भगवान का वंदन" (चर्चा अंक 4555) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
सत्य है।
जवाब देंहटाएंछोटी सी रचना में गहन हृदय स्पर्शी भाव।
जवाब देंहटाएंमार्मिक कम शब्दों में गहरी बात
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंछोटी से रचना में सारगर्भित भाव!--ब्रजेन्द्र नाथ
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