शुक्रवार, 16 सितंबर 2022

मां का नहीं होना

 सूरज के होते हुए भी 

पसरा होता है अंधेरा 

चांद के होते हुए 

नहीं होती शीतलता 

नर्म दूब जब लगे 

तपता अंगारो सा 

फिर लगता है क्या होता है 

मां का नहीं होना। 


6 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-9-22} को विश्वकर्मा भगवान का वंदन" (चर्चा अंक 4555) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  2. छोटी सी रचना में गहन हृदय स्पर्शी भाव।

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  3. मार्मिक कम शब्दों में गहरी बात

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  4. छोटी से रचना में सारगर्भित भाव!--ब्रजेन्द्र नाथ

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