शुक्रवार, 16 जून 2023

सब ठीक है

बहुत दिनों बाद मिले
बीज बेचने वाले बाबा
पूछा कि कैसे रहे पिछले दिन
उन्होंने कहा सब ठीक है,
लेकिन कहां है सब ठीक?

पेड़ के नीचे बैठ कर
पुराने कपड़ों को ठीक करने वाले बाबा
बहुत दिनों बाद दिखे
थके हुए कदम और उदासी आंखों में भर कर
वे उसी पेड़ के नीचे खाली बैठे मिले।
पूछने पर बताया कि
वे भी ठीक है,
लेकिन कहां है सब ठीक?

वो चौंक पर बैठता है एक चाभी बनाने वाला
वह भी कहां दिखाई दिया साल भर से
उसका बोर्ड अब भी टंगा था
फोन मिलाया तो उसने भी कहा
सब ठीक है
लेकिन कहां है सब ठीक?

ऐसे ही ज़िन्दगी के आसपास
रोज़ दिखने वाले जब नहीं दिख रहे
या कमजोर या उदास दिख रहे हैं
फिर भी कह रहे हैं सब ठीक है
तो मत समझिए कि सब ठीक है।

हां
जब सब ठीक नहीं है
तब भी सब ठीक कहना
और कुछ नहीं बल्कि है
आदमी के भीतर बसी
जिजीविषा और आशा
यही उसे खड़ा करता है
हर बार गिरने पर
संबल देता है
लड़खड़ाने पर।

ठीक है कि अभी
सब ठीक नहीं लेकिन
कल होगा सब ठीक ।

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