आप जबसे हमारे सनम हो गए
क्या कहूं आप बेरहम हो गए
लूट हत्या दंगे हो रहे आए दिन
खून खौलता नहीं सब नरम हो गए
जंगल जल रहे, ढह रहे पहाड़
कुदरत के तेवर भी गरम हो गए
नफरत के झंडे हो रहे बुलंद
कैसे ये हमारे धरम हो गए
डूबते को मिलता तिनके का सहारा
कैसे कैसे ये मुझको भरम हो गए ।
वाह लाजवाब
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जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
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