किसी की खुशबू बसी है इस रुमाल में
कायनात में किसी की बातें हैं कमाल में
वह दिखे तो और देखने का जी करता है
नहीं देखूं तो आ जाती है वह खयाल में
नाम उसका लेती हैं मेरी धड़कने भी अब
क्या बताऊं कि वह नहीं किसी मिसाल में
जुगनू सी चमकती है हंसी उसकी
बना हूं गुलाम मैं उसके दुमाल में
धर्मों ने बांट दिए आवाम को अब
अजान अब शोर है, रंग नहीं गुलाल में
वाह बस अंतिम शेर में चूहा नाराज न हो जाए | (चूहा जो आपका शेर है :) ही ही )
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