१
क्या
तुमने भी
महसूस किया है
इन दिनों
खूबसूरत होने लगे हैं
किताबो के जिल्द
और
पन्ने पड़े हैं
खाली
२
क्या
तुम्हे भी
दीखता है
इन दिनों
किताबों पर पड़ी
धुल का रंग
हो गया है
कुछ ज्यादा ही
काला
और
कहते हैं सब
आसमान है साफ़
३
क्या
तुम्हे भी
किताबो के पन्ने की महक
लग रही है कुछ
बारूदी सी
और उठाये नहीं
हमने हथियार
बहुत दिनों से
४
क्या
तुमने पाया है कि
किताब के बीच
रखा है
ए़क सूखा गुलाब
जबकि
ताज़ी है
उसकी महक
अब भी
हम दोनों के भीतर
उम्दा कविता।
जवाब देंहटाएंwaah............bahut hi sundar aur gahre bhav bhav bhare hain.
जवाब देंहटाएंकिताबो के पन्ने की महक
जवाब देंहटाएंलग रही है कुछ
बारूदी सी
और उठाये नहीं
हमने हथियार
बहुत दिनों से
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
बहुत गहराई से लिखा है
जवाब देंहटाएंbahut achhe lagi.aapakaa nazariyaa behad pasand aayaa. antim chhand theek thaak .manik
जवाब देंहटाएंअपनी माटी
माणिकनामा
क्या
जवाब देंहटाएंतुमने पाया है कि
किताब के बीच
रखा है
ए़क सूखा गुलाब
जबकि
ताज़ी है
उसकी महक
अब भी
हम दोनों के भीतर
waah
बहुत कुछ नहीं
जवाब देंहटाएंसब कुछ कह दिया
।
बहुत शानदार..बेहद पसंद आई.
जवाब देंहटाएंसरोकारी कविताएं...बेहतर...पंक्तियों के बीच में झांकने को मजबूर करती हुई....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत होने लगे हैं
जवाब देंहटाएंकिताबो के जिल्द
और
पन्ने पड़े हैं
खाली
बेहद खूबसूरत
बहुत अच्छी
bahut khub
जवाब देंहटाएंbadhai aap ko is jankari ke liye
सुन्दर कविताएं। मन को छूती हैं !
जवाब देंहटाएंकितना कुछ कहती हैं किताबें ... अलग अलग एहसास लिए किताबें .........
जवाब देंहटाएंकितना कुछ कहती हैं किताबें ... अलग अलग एहसास लिए किताबें .........
जवाब देंहटाएंखूबसूरत होने लगे हैं
जवाब देंहटाएंकिताबो के जिल्द
और
पन्ने पड़े हैं
खाली
bahut gahari bat kahi hai aapne,sunder,saral shabdo me.
खूबसूरत होने लगे हैं
जवाब देंहटाएंकिताबो के जिल्द
और
पन्ने पड़े हैं
आजकल हम इंसानों का भी यही हाल है
क्या
तुमने पाया है कि
किताब के बीच
रखा है
ए़क सूखा गुलाब
जबकि
ताज़ी है
उसकी महक
अब भी
हम दोनों के भीतर
अरे हाँ कौन सी किताब कि बात चल रही है किसमें रखा था फूल जरा हम भी तो जानें उसका नाम