सरोकार
मंगलवार, 29 अप्रैल 2025
तुम जाओ
अब मेरी जरूरत क्या
हो आज़ाद, तुम जाओ
मैं बरबस राह का कांटा
इसे निकाल, तुम जाओ
झूठी तारीफ़ें मिलेंगी अभी
ठुकरा के सच, तुम जाओ
की थी फिक्र उसने तो क्या
झुठला के सब, तुम जाओ
बेहिसाब रोशनी चाहिए तुम्हें
देकर मुझे अंधेरा, तुम जाओ
3 टिप्पणियां:
सुशील कुमार जोशी
मंगलवार, अप्रैल 29, 2025
सुन्दर
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Anita
बुधवार, अप्रैल 30, 2025
मार्मिक ! जाने वाला कभी पूरा नहीं जा पाता
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Sarita sail
शुक्रवार, मई 02, 2025
यहां झुठी तारीफ करके छलावा ही करते हैं
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सुन्दर
जवाब देंहटाएंमार्मिक ! जाने वाला कभी पूरा नहीं जा पाता
जवाब देंहटाएंयहां झुठी तारीफ करके छलावा ही करते हैं
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