तमाम शहर में
अब फ़्लाइओवर हैं
हमारे शहर में भी है
एक फ़्लाइओवेर
फ़्लाइओवर के नीचे
होती है एक अलग दुनिया
शहर के बाहरी आवरण से अलग
होती है उसकी प्रकृति
उसका चरित्र
सभी प्रकार के गुप्त रोगों के
शर्तिया इलाज करने वाले कई डाक्टर
एक का दो, दो का चार वाले खेल
सस्ते देह का सस्ता बाज़ार
होता है गुलजार यहाँ
चौबीस घंटे
कभी दिन के उजाले में
तो कभी सांझ के धुधंल्के में
और कभी पीले हलोज़न की पीली रौशनी में
बनती हैं योजनायें
शहर में शांति की
शहर में अशांति की
जो होते हैं अखबारों की सुर्ख़ियों में
अक्सर रात को
'डील' करते पाए जाते हैं यहाँ,
तनाव में जब होता है शहर
उत्सव होता है
इस फ़्लाइओवर के नीचे
शहर का असली चरित्र /असली परिचय
होता है फ़्लाइओवर
और उसके नीचे की दुनिया
बनती हैं योजनायें
जवाब देंहटाएंशहर में शांति की
शहर में अशांति की
जो होते हैं अखबारों की सुर्ख़ियों में
अक्सर रात को
'डील' करते पाए जाते हैं यहाँ,
तनाव में जब होता है शहर
उत्सव होता है
इस फ़्लाइओवर के नीचे
शहर का असली चरित्र /असली परिचय
होता है फ़्लाइओवर
...........
जिसके नीचे से भविष्य की जानलेवा योजनायें निकलती हैं ,
बहुत सही चित्रण
शहर का असली चरित्र /असली परिचय
जवाब देंहटाएंहोता है फ़्लाइओवर
और उसके नीचे की दुनिया
बिलकुल सही बिम्ब है असली दुनिया का चेहरा देखने के लिये। धन्यवाद।
अच्छी कविता। हां यहां, दो दिल भी मिलते हैं, कुछ लोग घर भी बना लेते हैं, और सड़क की भीड़-भाड़ भी कम होकर यातायात रफ़्तार पकड़ लेती है। कभी गिर कर कुछ लोगों को लील भी जाता है तो कभी कुछ लोगों की जेबें भी भर जाता है।
जवाब देंहटाएंअपार महिमा वाले फ़्लाइ ओवर की तरह आपके काव्य का संसार भी बढता रहे।
बेहतर रचना...
जवाब देंहटाएंसड़कों पर दौड़ती भागती दुनिया एक रूप फ़्लाईओवर के तले भी है इसपर खूब ध्यान आकर्षित किया आपने। मैं तो कहूँगा कि:
जवाब देंहटाएंनित गुजरता हूँ यहॉं से, पर कभी सोचा न था
एक दुनिया पल रही है फ़्लाईओवर के तले।
विकासी फ्लाइओवर के नीचे, यह सब।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबनती हैं योजनायें
जवाब देंहटाएंशहर में शांति की
शहर में अशांति की
जो होते हैं अखबारों की सुर्ख़ियों में
अक्सर रात को
'डील' करते पाए जाते हैं यहाँ,
तनाव में जब होता है शहर
उत्सव होता है
इस फ़्लाइओवर के नीचे...
फ्लाईओवर के नीचे बसी दुनिया का बहुत ही अध्यनपूर्ण और वास्तविक चित्रण...बधाई
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (29/11/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
शहरी ज़िन्दगी को आईना दिखा दिया...........देखा था अनेक बार और सोचती भी थी मगर आपने मेरे भावों को अपनी अभिव्यक्ति दे दी…………आभार्।
जवाब देंहटाएंशहर का असली चरित्र /असली परिचय
जवाब देंहटाएंहोता है फ़्लाइओवर
और उसके नीचे की दुनिया
ye to bahut sahi baat kahi apne
जो होते हैं अखबारों की सुर्ख़ियों में
जवाब देंहटाएंअक्सर रात को
'डील' करते पाए जाते हैं यहाँ,
तनाव में जब होता है शहर
उत्सव होता है
इस फ़्लाइओवर के नीचे
फ्लाईओवर के नीचे बसी ज़िंदगी का सजीव चित्रण ...
जवाब देंहटाएंअरुण जी आप फ्लाई ओवर के नीचे वाली बस्ती छोड़ कर कब आये ??????इनमे से किस किस में भागीदारी थी आपकी ?????? वास्तविक चित्रण...बधाई
जवाब देंहटाएंक्या बात कही है जनाब
जवाब देंहटाएंवाह... आपने तो "flyover" के मायने ही बदल दिए... मनो जैसे वो एक परत हो जो एक ताल को दूसरे ताल से अलग करती हो... बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंतनाव में जब होता है शहर
जवाब देंहटाएंउत्सव होता है
इस फ़्लाइओवर के नीचे
फ्लाइओवर के नीचे की दुनिया की सच्ची तस्वीर खींची है आपने।
सही कह रहे हो भाई ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत बेबाकी से अपनी बात कह्जाते हो.तेवर बड़े गहरी तक असर करने वाले लगते हैं. भाई जान ये फ्लाई ओवर के निचे वक्त बिताने वालों को कविता हाथ लगे तब ना. असरकारक हो पायेगी.
जवाब देंहटाएंअरुण जी,
जवाब देंहटाएंआपकी यह कविता दिमाग़ के ओवर से फ्लाई नहीं कर सकती, बल्कि विचारों का एक ऐसा सेतु निर्मित करती है, जो स्याह और सफेद दुनिया के बीच सम्बंध स्थापित करता है. इन सम्बंधों का जायज़ नाजायज़ होना सिर्फ कुछ रंगीन पत्तियों पर निर्भर करता है, जो बदलती हैं जेब… काले पॉकेट से निकलकर ख़ाकी जेब में जाती हुई इसी फ्लाइओवर के तले.
शानदार दृष्टि!!
शहर का असली चरित्र /असली परिचय
जवाब देंहटाएंहोता है फ़्लाइओवर
शायद फ़्लाइओवर एक आवरण का काम करता है.
kya kahun, samajh nahi pa raha...aaap to apne charo aur ke jindagi ko itna sajeev chitran karte ho, jaise lagta hai ek dum se main kisi flyover ke niche pahuch gaya.........sach kaha ek dum!! bahut khub...........badhai!!
जवाब देंहटाएंशहर का असली चरित्र /असली परिचय
जवाब देंहटाएंहोता है फ़्लाइओवर ...
Sateek ... shahar ka charitr likh daala aapne ... bahut prabhaavi rachna ...
kbhi kbhi kai cheeje nigaho ke samne se srk jati hai our hm us pr tvjjo nhi dete hai lekin vhi bat jb rchnakar ki nigah se dikhai deti hai to uska mrm smjh me aata hai .is jgh se kitni khaniyo ka jnm hota hai . bhut vistrit flk hai .drishti ki viratta ke liye dhnywaad our ek samyik kvita ke liye sadhuvad .
जवाब देंहटाएंसत्य उकेरती कविता!
जवाब देंहटाएं'' pul do shahron ko zodta ek sanskriti dusri se milti .''
जवाब देंहटाएंsadhuwad
very nice post sundar kavita badhai
जवाब देंहटाएंशहर का असली चरित्र /असली परिचय
जवाब देंहटाएंहोता है फ़्लाइओवर
और उसके नीचे की दुनिया
आपका अवलोकन तो कमाल है..... बहुत सुंदर
फ्लाई ओवर के नीचे पनपती बस्तियों में लिबलिबाती हुईं सच्चाइयों की सच्ची कहानी !
जवाब देंहटाएंअरुण जी ,बहुत अच्छा है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
100 aane sach keha!
जवाब देंहटाएंअरुण जी,
जवाब देंहटाएंफ्लाईओवर के नीचे बसी दुनिया का वास्तविक चित्रण.....बधाई
....... उम्दा रचना..बधाई.
सच्चाई को बखूबी शब्दों में पिरोया है आपने! उम्दा रचना!
जवाब देंहटाएंजो होते हैं अखबारों की सुर्ख़ियों में
जवाब देंहटाएंअक्सर रात को
'डील' करते पाए जाते हैं यहाँ,
Xxxx
बिलकुल सच ....और यही लोग करते हैं बातें , विकास और विशवास की ......सम्यक रचना ...शुक्रिया