रविवार, 23 मई 2021

वापसी डाक से

 प्रिय

तुम्हारे भीतर जो

बसी है 

उदासियां, पीड़ा

दुख  और अकेलापन

स्पीड पोस्ट कर दो मुझे

मैं उन्हें सहेज रखूंगा 

अपने भीतर किसी उपहार की तरह

वापसी डाक से भेज दूंगा 

थोड़ी सी ताजी रोशनी,

खुशी के कुछ पल

और ढेर सारी दुआएं

एक डिब्बी में भर कर। 


यहां बताना जरूरी है कि 

इस भयावह और अवसाद भरे दौर में 

अस्पतालों के साथ साथ 

खुले हैं डाकखाने भी। 


- अरुण चन्द्र रॉय

9 टिप्‍पणियां:

  1. वापसी डाक से भेज दूंगा

    थोड़ी सी ताजी रोशनी,

    खुशी के कुछ पल

    और ढेर सारी दुआएं

    एक डिब्बी में भर कर। ---बहुत खूबसूरत कविता है...भावों से भीगी हुई...निशब्द हूं...खूब बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (24-05-2021 ) को 'दिया है दुःख का बादल, तो उसने ही दवा दी है' (चर्चा अंक 4075) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. वाह! बहुत ही सुन्दर। हर परिस्थिति में अपनों का ख्याल रखना ही सार्थक जिंदगी है।

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  5. वाह!!!
    सोशल डिस्टेंस भी और भावनात्मक साथ भी वही पुराना चिट्ठी पत्री वाला दौर...
    बहुत लाजवाब, भावपूर्ण सृजन

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  6. कभी मैंने कहा था कि अगर कहीं से "PAIN" DRIVE मिल जाए तो तमाम दु:ख, तमाम तकलीफ़ें उसमें डाउनलोड करके इस ड्राइव को फ़ॉर्मैट कर दूँ और आज आपने उसे आगे बढ़ाते हुये जवाब में खुशियाँ भेज दीं! आपकी सम्वेदनशीलता सचमुच प्रणम्य है!!

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