गुरुवार, 27 मई 2021

सब ठीक है

 बहुत दिनों बाद मिले 

बीज बेचने वाले बाबा 

पूछा कि कैसे रहे पिछले दिन 

उन्होंने कहा सब ठीक है, 

लेकिन कहां है सब ठीक?


पेड़ के नीचे बैठ कर 

पुराने कपड़ों को ठीक करने वाले बाबा 

बहुत दिनों बाद दिखे 

थके हुए कदम और उदासी आंखों में भर कर 

वे उसी पेड़ के नीचे खाली बैठे मिले।

पूछने पर बताया कि 

वे भी ठीक है,

लेकिन कहां है सब ठीक? 


वो चौंक पर बैठता है एक चाबी बनाने वाला 

वह भी कहां दिखाई दिया साल भर से 

उसका बोर्ड अब भी टंगा था 

फोन मिलाया तो उसने भी कहा 

सब ठीक है 

लेकिन कहां है सब ठीक?


ऐसे ही ज़िन्दगी के आसपास 

रोज़ दिखने वाले जब नहीं दिख रहे 

या कमजोर या उदास दिख रहे हैं 

फिर भी कह रहे हैं सब ठीक है 

तो मत समझिए कि सब ठीक है। 


हां 

जब सब ठीक नहीं है 

तब भी सब ठीक कहना 

और कुछ नहीं बल्कि है

 आदमी के भीतर बसी 

जिजीविषा और आशा 

यही उसे खड़ा करता है 

हर बार गिरने पर 

संबल देता है 

लड़खड़ाने पर। 


ठीक है कि अभी 

सब ठीक नहीं लेकिन 

कल होगा सब ठीक ।











3 टिप्‍पणियां:

  1. आदमी के भीतर बसी

    जिजीविषा और आशा

    यही उसे खड़ा करता है

    हर बार गिरने पर

    संबल देता है

    लड़खड़ाने पर। ---भावों से परिपूर्ण पंक्तियां

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  2. मौत जब मुँह बाए दरवाज़े पर घात लगाये बैठी हो, हर दिन किसी एक अपने के बिछड़ जाने की ख़बर चारो ओर से आ रही हो, ऐसे में किसी अपने की आवाज़ और यह संदेश कि ठीक है, एक ऐसा संतोष प्रदान करता है कि कहा नहीं जा सकता। जब सबकुछ ठीक न चल रहा हो, ऐसे में थीक हैं एक जीवन मंत्र है!

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