सुख
ए़क भ्रम है
जो अपनी खोज में
गिरा देता है
मानव को उसकी
अपनी ही नजरों में
पाने की लालसा
कर देती है उसे
दिग्भ्रमित
और निर्णयहीन
पशु हावी हो जाता है
और मानव
पहुँच जाता है
अपने आदिम स्वरुप में
बुद्धिहीन विवेकहीन
ए़क ऐसा ही
बुद्धिहीन विवेकहीन हूँ
मैं
सुख की कल्पना में
तिरोहित कर दिया मैं ने
अपना सर्वस्व
स्वयं के पैरों के नीचे की धरा
मैंने स्वयं ही खींच ली है
और बना लिया है
पश्चाताप का दलदल
स्वप्न सारे
हो गए है गंदले
भविष्य लग गया है
दाव पर
मंत्र जो शक्ति थी
अभिशाप बन
उच्चारित हो रही है
प्रतीत हो रहा है
विष सा यह विश्व
अपना ही विश्वास
मार रहा है डंक
ए़क चीख
जो कि
मेरी है
तुम्हारी है
चक्रवात बन
उडा ले जा रहा है
मुझे स्वयं से दूर
तुमसे दूर
किसी निर्जन द्वीप पर
स्वयं को पा रहा हूँ मैं
हे मनु !
कैसा है यह सुख ।
श्रद्धा !
क्या मनु है तुम्हारा
अब भी !
हे मनु !
जवाब देंहटाएंकैसा है यह सुख ।
श्रद्धा !
क्या मनु है तुम्हारा
अब भी !
सुख और दुख सापेक्ष हैं. सुखों की तलाश करते करते कहीं हम दुख का जखीरा तो नहीं इकट्ठा करते जा रहे हैं!!
हे मनु !
जवाब देंहटाएंकैसा है यह सुख ।
श्रद्धा !
क्या मनु है तुम्हारा
अब भी !
एक बार फिर बेहतरीन प्रस्तुति……………सुख की चाह शायद ही कोई ऐसा हो जिसे ना हो मगर खोजता इन्सान बाहर है जहाँ खोजना चाहिये सिर्फ़ वहीं नही खोजता।
मनु और श्रद्धा हमारा विश्वास हैं , वे कभी अलग नहीं होते
जवाब देंहटाएंसुख कस्तूरी है ....
Eeeshwar kee hi tarah,sukh basta hai man me aur ham use khojte hain poore jahan me!
जवाब देंहटाएंBahut khoobsoorat rachana!
वाह जी, क्या बात है..बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंसुख की आस और उसका प्रयास जीवन में यदि अस्थिरता लाये तो मान लीजिये कि सुख की परिभाषा में कहीं कोई खोट है।
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन रचना
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
ए़क चीख
जवाब देंहटाएंजो कि
मेरी है
तुम्हारी है
चक्रवात बन
उडा ले जा रहा है
मुझे स्वयं से दूर
तुमसे दूर
सोचने को मजबूर करती है आपकी यह रचना ! सादर !
अपने मन के विकारों पर अंकुश , इन्द्रियों पर संयम, दुर्गुणों से दूर रहते हुए शरीर व मन को सुव्यवस्थित रखना। ऐसा होने पर सच्चे सुख की स्थापना निश्चित है।
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
जवाब देंहटाएंjust beautiful!
जवाब देंहटाएंक्या बात है अरुण, बहुत ही सुंदर कविता लिखी है बधाई, कविता के लिए और स्वतंत्रता दिवस के लिए भी
जवाब देंहटाएंसुख की कल्पना नही उसको मन में बैठाना ही सुख देता है ... बेहतरीन प्रस्तुति है ...
जवाब देंहटाएं