आवरण
के पीछे
रहता है सच
आवरण झुठलाता है
सच को
देता है
नया अर्थ
नया रूप
लेकिन कोई
आवरण नहीं
मेरा मुस्कुराता चेहरा
मेरी हंसी
मेरा उतावलापन
मेरे सपने
तेरे लिए
बिना आवरण के
मेरा प्रेम
सत्य है
जैसे
सूर्य का उदय होना
लेकिन
आशंकित होता है
मन मेरा
सूर्य की तरह ही
बादल कही ढक ना ले
अपने आवरण में
कहो ना
आवरण के हटने
बादलों के छंटने तक
तुम्हें रहेगा
मेरा इन्तजार
या फिर
सच को
झुठला कर
कर दोगे
ह्रदय के मध्य से
विस्थापित
ए़क आवरण का
लेकर सहारा
और लुप्त हो जायेगा
मेरा प्रेम ।
अरुण
जवाब देंहटाएंयह वह कविता जिसकी मैं तुमसे उम्मीद रखता हूँ .निसंदेह सुन्दर कविता .बधाई .
अरुण जी यह वह कविता नहीं है जिसकी उम्मीद मैं आपसे करता हूं। निर्मल जी क्षमा करें।
जवाब देंहटाएंबिना आवरण के
जवाब देंहटाएंमेरा प्रेम
सत्य है
जैसे
सूर्य का उदय होना
लेकिन
आशंकित होता है
मन मेरा
सूर्य की तरह ही
बादल कही ढक ना ले
अपने आवरण में..
बहुत खूबसूरत भाव भरे हैं इस रचना में ....
बिना आवरण के
जवाब देंहटाएंमेरा प्रेम
सत्य है
जैसे
सूर्य का उदय होना
लेकिन
आशंकित होता है
मन मेरा
सूर्य की तरह ही
बादल कही ढक ना ले
अपने आवरण में... superb
यही तो भावों की स्थिति होती है हर पल प्रेम मे एक आशंका का आवरण रहता है………………मनोभावो को खूबसूरत चित्रण्।
जवाब देंहटाएंआवरण ...बहुत अच्छी लगी रचना.
जवाब देंहटाएंओ छुपने वाले सामने आ, चुप चुप पे के इतना जी न जला.
जवाब देंहटाएंबेशक सुंदर कविता
विनम्र निवेदन है आपके कथन मे ! सुंदर !!!!!!!
जवाब देंहटाएंarun ji..hamesha ki tarah ek tajgi bhari rachna!
जवाब देंहटाएंयही आवरण छिपा लेता है सब।
जवाब देंहटाएंआपकी कविता पढ़ने पर ऐसा लगा कि आप बहुत सूक्ष्मता से एक अलग धरातल पर चीज़ों को देखते हैं।
जवाब देंहटाएंकहो ना
जवाब देंहटाएंआवरण के हटने
बादलों के छंटने तक
तुम्हें रहेगा
मेरा इन्तजार
par aaj koi ye wada kars kata hai kya..kyo ki intzaar nahi sabke bas ka
कहो ना
जवाब देंहटाएंआवरण के हटने
बादलों के छंटने तक
तुम्हें रहेगा
मेरा इन्तजार
इंतजार से ही आपका सरोकार रहेगा
युगों तक कायम आपका प्यार रहेगा
बहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंहिंदी, नागरी और राष्ट्रीयता अन्योन्याश्रित हैं।
प्रेम आवरण नहीं मगर भयभीत है की आवरण में लिपट ना जाये ...
जवाब देंहटाएंफिर भी रहेगा तो प्रेम ही !
हर चेहरे पर कोई ना कोई आवरण है| बहुत सुन्दर कविता|
जवाब देंहटाएंसच को
जवाब देंहटाएंझुठला कर
कर दोगे
ह्रदय के मध्य से
विस्थापित
ए़क आवरण का
लेकर सहारा
और लुप्त हो जायेगा
मेरा प्रेम ।
....bahut sundar prasuti
....सशक्त रचना,खूबसूरत भाव .
जवाब देंहटाएंफिर एक बेहतरीन प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंकहो ना
आवरण के हटने
बादलों के छंटने तक
तुम्हें रहेगा
मेरा इन्तजार
एक बात कहना चाहूंगी की आवरण तो निःसंदेह होता है पर सच्चे लोगो के चेहरे पर जो होता है वो पारदर्शी होता है कभी झूठ बोलना हो या कुछ छुपाना हो तो उस पारदर्शी आवरण से झलकता है की ये जो कुछ है ये परिस्थिति जन्य है