रविवार, 1 अगस्त 2010

तुम मेरे मित्र

जब तुम
आये थे
मेरे जीवन में
जानता नहीं था
मैं तुम्हे
देखा भी नहीं था तुम्हे
कुछ ठीक से
हां
धड़कता था जरुर
मेरा ह्रदय
तुम्हारी अदृश्य उपस्थिति से
आभासी मौजूदगी से

फिर
तुमने समर्पित कर दिया
अपना जीवन
मेरे लिए
पहले दिन से ही

अब
मेरी मुस्कराहट से है
तुम्हारी हंसी
मेरे सुख में है
तुम्हारा सुख
मेरे दुःख से
दुखती है तुम्हारी आत्मा
व्यथित होते हो तुम
मेरी व्यथा से

मेरी जिम्मेदारियों को
समझा तुमने अपना
मेरे सपनो को दिए तुमने पंख
अपने सपनो की तरह
थामा तुमने मेरा हाथ
जब भी
जहाँ भी
कमजोर पड़ा मैं
बल दिया तुमने
जब भी
निर्बल हुआ मैं
मेरे आंसू
निकले तुम्हारी आँखों से

तुम
परछाई की तरह
लगते हो
मेरे समीप
मेरे ह्रदय के मध्य
मणि बन कर
फिर क्यों ना हो
हर दिन
मित्रता दिवस

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर एहसास ....यदि हमसफ़र को मित्र मान लें तो ज़िंदगी बहुत आसान हो जाति है...हर कदम पर साथ और विश्वास सब मिलता है...पर इंसान की फितरत है जो मिला है उससे संतुष्ट नहीं रहता ...

    आपकी यह रचना बहुत अच्छी लगी

    जवाब देंहटाएं
  2. आहा !!!!!!!!! काश कि हर मनुष्य ऐसा ही सोचता !

    जवाब देंहटाएं
  3. bilkul sahi kaha...........sirf ek din mein is jazbe ko nahi bandha ja sakta hai .

    जवाब देंहटाएं
  4. जब भी
    जहाँ भी
    कमजोर पड़ा मैं
    बल दिया तुमने
    जब भी
    निर्बल हुआ मैं
    मेरे आंसू
    निकले तुम्हारी आँखों से
    Aise mitr kee umr daraaz ho!

    जवाब देंहटाएं
  5. मेरी जिम्मेदारियों को
    समझा तुमने अपना
    मेरे सपनो को दिए तुमने पंख
    अपने सपनो की तरह
    थामा तुमने मेरा हाथ
    जब भी
    जहाँ भी
    कमजोर पड़ा मैं
    बल दिया तुमने
    जब भी
    निर्बल हुआ मैं
    मेरे आंसू
    निकले तुम्हारी आँखों से
    dost saath rahna , aansuon ka aatmik rishta nibhana

    जवाब देंहटाएं
  6. तुम
    परछाई की तरह
    लगते हो
    मेरे समीप
    मेरे ह्रदय के मध्य
    मणि बन कर
    फिर क्यों ना हो
    हर दिन
    मित्रता दिवस
    एकदम सही कहा है ...

    जवाब देंहटाएं
  7. “तुम मेरे मित्र!”
    पर मेरी टिप्पणी पोस्ट नहीं हो रही है।
    कृपया निम्नलिखित टिप्पणी पोस्ट कर दें।
    यह कविता तरल संवेदनाओं के कारण आत्‍मीय लगती है। इस कविता में भावावेग की ऐसी दुनिया दिखती है जिसमें हम खुद को पाने पाने की आकांक्षा पाल बैठते हैं। यहां काव्यनिष्ठ प्रेम की दुनिया का अंकन मिलता है और मिलता है एक अतीत राग।....

    ...मनोज कुमार

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर भाव है बहुत सुन्दर कविता !!!!

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर भावों की बेहतरीन प्रस्तुति!!

    जवाब देंहटाएं
  10. फ्रैंडशिप-डे पर ढेर सारी बधाई और प्यार !!

    जवाब देंहटाएं