अब
सड़कें
अंतहीन नहीं होती
तय होती है
उनकी यात्रा
नियत होती हैं,
उनके चौराहे की दिशाएं भी
पहले से निर्धारित होती हैं
और
जगह जगह पर
होते हैं निर्देश
गति सीमा
तीखे मोड़
चढ़ान
उतरान
संकरा पुल के निशान
विस्तार तो हो रहा है
सड़को का
किन्तु
अतिक्रमित हो रहे हैं
वृक्ष
खेत
खलिहान
तालाब
ठीक वैसे ही
जैसे
जीवन के विस्तार के साथ
अतिक्रमित हो रही हैं
संवेदनाये
सड़क
जीवन है
सीमाओं में बंधा
और
बदलते जीवन का
प्रतीक है
तरह तरह के प्रभावों में
जीवन
सड़क
बनायी है
मैंने भी ए़क
अपने ह्रदय से
तुम्हारे ह्रदय तक
कई पगडंडियों को साथ ले
चलती है यह सड़क
जिसके दोनों ओर
हैं वृक्ष
भाव के,
संवेदनाओं के
खेत हैं
उस ओर
हो ना
तुम भी
जहाँ जाती है
यह सड़क
जहाँ है
भविष्य
वाह! बहुत सधी हुई रचना.
जवाब देंहटाएंउस ओर
जवाब देंहटाएंहो ना
तुम भी
जहाँ जाती है
यह सड़क
जहाँ है
भविष्य
.....
वाह !!!!!!
सुदर रचना!
जवाब देंहटाएंभाव तो मानो बह निकले हैं
लाजवाब
जीवन को बेहद खूबसूरती से परिभाषित किया है सडक के माध्यम से और साथ ही संवेदनाओ और भावों का समन्वय भी खूब किया है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंप्रिय अरुण भाई,
जवाब देंहटाएंआपकी इस कविता में दो कविताएं हैं। और मेरे हिसाब से कुछ अनावश्यक हिस्सा भी। देखें आपकी कविता का संपादित रूप-
।।एक।।
सड़कें
अंतहीन नहीं होतीं
तय होती है
उनकी यात्रा
नियत होते हैं,
उनके चौराहे
और दिशाएं भी
और
कदम-कदम पर
होते हैं निर्देश
गति सीमा
तीखे मोड़
चढ़ान
उतरान
संकीर्ण पुल
आदि आदि
विस्तार तो
सड़कों का हो रहा है
किन्तु
अतिक्रमित हो रहे हैं
वृक्ष
खेत
खलिहान
तालाब
ठीक वैसे ही
जैसे
जीवन के विस्तार के साथ
अतिक्रमित हो रही हैं
संवेदनायें
।।दो।।
सड़क
बनाई है
मैंने भी ए़क
अपने ह्रदय से
तुम्हारे ह्रदय तक
कई पगडंडियों आकर मिलती हैं
इस सड़क पर
जिसके दोनों ओर
हैं वृक्ष
भाव के
संवेदनाओं के
खेत हैं
भविष्य के
उस
छोर पर
हो ना
तुम भी
जहाँ जाती है
यह सड़क।
इस पंक्ति को इस तरह पढ़े-
जवाब देंहटाएंकई पगडंडियां आकर मिलती हैं
@राजेश उत्साही
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजेश जी आपका सुझाव अच्छा लगा... चुकी मैंने जीवन और प्रेम को ए़क साथ देखा है.. सड़क कि यात्रा को जीवन में प्रेम की यात्रा के रूप में लिया है, ए़क ही कविता में समावेशित किया है.. बढ़िया संपादन के लिए बहुत बहुत आभार ! भविष्य में कविता लिखते समय इनका ध्यान रखुगा.. सादर
जिसके दोनों ओर
जवाब देंहटाएंहैं वृक्ष
भाव के
संवेदनाओं के
खेत हैं
उस ओर
हो ना
तुम भी
जहाँ जाती है
यह सड़क
जहाँ है
भविष्य
कविता हमेशा की तरह लाजवाब है राजेश जी का संशोधन सोने पे सुहागा पर ये समझ नहीं आया की
"वृक्ष भाव के संवेदनाओं के खेत हैं" तो फसल में क्या उगा..........
सड़कें भी भविष्य की ओर मुड़ गयी हैं।
जवाब देंहटाएंसड़क
जवाब देंहटाएंबनायी है
मैंने भी ए़क
अपने ह्रदय से
तुम्हारे ह्रदय तक
कई पगडंडियों को साथ ले
चलती है यह सड़क
जिसके दोनों ओर
हैं वृक्ष
भाव के,
संवेदनाओं के
खेत हैं
वाह ...बहुत सुन्दर ....यह पंक्तियाँ बस महसूस करने की हैं ...
बेहतरीन। लाजवाब।
जवाब देंहटाएं*** हिन्दी प्रेम एवं अनुराग की भाषा है।
चलती है यह सड़क
जवाब देंहटाएंजिसके दोनों ओर
हैं वृक्ष
भाव के,
संवेदनाओं के
खेत हैं
वाह ........बहुत सुन्दर
aapki sadak mere sadak se jayda behtar hai......:)
जवाब देंहटाएंmatlab.......kuchh din pahle maine bhi kuchh sadak pe shabd peeroya tha.......lekin aapki jayda sarthak hai............:)
सरलता और सहजता का अद्भुत सम्मिश्रण बरबस मन को आकृष्ट करता है। चूंकि कविता अनुभव पर आधारित है, इसलिए इसमें अद्भुत ताजगी है।
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब .. सड़कोपन का विस्तार दो दॉलों के मिलन पर आकर ख़त्म हो तो कितना अच्छा हो ... बहुत ही कुशल शिल्पी की तरह लिखा है इस रचना को ...
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