रविवार, 15 अगस्त 2010

कतार के अंत में खड़े आदमी की अपील

साहब
सुनते हैं
चौसठ साल हो गए
आजादी के
लेकिन
कतार के अंत में खड़ा
मैं
आज भी
कतार के अंत में ही हूँ
अपनी बारी के इन्तजार में

लाल किले की प्राचीर से
हर साल
रौशनी चलती मेरे लिए
लेकिन
ना जाने कहाँ
गुम हो जाती है

रात तो अंधियारी थी ही
साहब
अब तो दिन दोपहरी भी
अंधियारी सी लगती है
हरे जो खेत थे
और हरे हो गए हैं
लेकिन
हम जो हाशिये पर थे
आज भी वही हैं
अपनी बारी के इन्तजार में

नदियों का जल
बाँट लिया है
राजधानी वालों ने साहब
और जो बचा है
हमारे लिए नहीं है
जंगल में लगा दिए गए हैं
बाड़ हमारे लिए
और जिन्हें
खदेड़ा जाना चाहिए था
जंगलों से
जंगलों की खातिर
वे साहब
बने हैं पहरेदार
जंगलों पर हक़ के लिए
कर रहे हैं
अपनी बारी का इन्तजार

संसद वाले
हमे भेजना चाहते हैं स्कूल
कि हम पढ़ लिख सकें
आत्मनिर्भर बन सकें
करोडो रूपये खर्च किये जा रहे हैं
फिल्मे चल रही हैं
विज्ञापन आ रहे हैं
हमे प्रेरित करने के लिए
बस स्कूल नहीं बन पा रहे हैं
हमारे घर के निकट

ए़क बात और साहब
मेरे साथ ही खड़े
कतार के अंत वाले लोग
पढ़ लिख कर भी
हस्ताक्षर करते हैं
सादे कागजों पर
पंचायत में
समाहरणालय में
फेक्टरियों में
कहाँ कुछ कर पाते हैं हम
कतार के अंत में खड़े लोग
कलम से भी लगाते हैं
अंगूठा ही
आपके प्रभाव में

साहब
बड़े बड़े शहर बनाये जा रहे हैं
बसने के लिए हमे
बाहर से
बिना रोक टोक पैसा आ रहा है
खेत का
नियमों के तहत अधिग्रहण हो रहा है
मुआवजा मिल रहा है
कुछ और नहीं
बस हमे

हाशिये से और नीचे धकेलने के लिए
हो रहा है सब कुछ

साहब
बहुत कुछ और कहना है
लेकिन आप सुन ना पाएंगे
बस ए़क अपील है
हमसे ना मांगे वोट
हमें लोकतंत्र का मोहरा ना बनायें
साहब
कतार के अंत में खड़े हम
अभी बस सो रहे हैं
लेकिन जब जागेंगे
साहब
क्या आप हिसाब दे पायेंगे
हमारे हिस्से के
पानी
धरती
जंगल
हवा का

15 टिप्‍पणियां:

  1. कतार के अंत में खड़ा
    मैं
    आज भी
    कतार के अंत में ही हूँ
    अपनी बारी के इन्तजार में
    कैसे नम्बर आयेगा. इस कतार में घुसपैठिये बहुत हैं
    सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सटीक...जाने कब नम्बर आयेगा.


    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

    सादर

    समीर लाल

    जवाब देंहटाएं
  3. सुनते हैं
    चौसठ साल हो गए
    आजादी के
    लेकिन
    कतार के अंत में खड़ा
    मैं
    आज भी
    कतार के अंत में ही हूँ
    अपनी बारी के इन्तजार में
    aur lagata hai yahi sthiti bani rahegi .... bahut sahi prastuti

    जवाब देंहटाएं
  4. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आप एवं आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  5. कतार में खड़ा अन्तिम व्यक्ति हमारे प्रयासों के कारण आज भी वहीं खड़ा है और गाँधी जी के वाक्यों को अकेला अमरत्व प्रदान कर रहा है।

    जवाब देंहटाएं
  6. उत्तम रचना!


    राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है।

    जवाब देंहटाएं
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    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

    जवाब देंहटाएं
  8. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  9. रात तो अंधियारी थी ही
    साहब
    अब तो दिन दोपहरी भी
    अंधियारी सी लगती है
    हरे जो खेत थे
    और हरे हो गए हैं
    लेकिन
    हम जो हाशिये पर थे
    आज भी वही हैं
    अपनी बारी के इन्तजार में

    brilliant creation , every common man empathize with the grief and pain of other common man...

    Ye desh hum se hai, phir bhi zazbaat nam se hai, apne desh mai janeey kyun paraye ho gaye, aam admi ke mudey janey kahan kho gaye...

    still I am optimistic that we would bring the change and make our country a better place for our next generations...

    जवाब देंहटाएं
  10. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आप एवं आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!
    सटीक लेखन सुन्दर रचना!

    जवाब देंहटाएं
  11. इतने सालों बाद भी आज़ादी के क्या मिला है ... हूबहो लिख दिया है सचाई को .... बहुत सादगी से कही है अपनी बात ...

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