शनिवार, 25 सितंबर 2021

पुराने सिक्के

 


पुराने सिक्के 

जैसे पिता मौजूद हों सामने 

रख दी हो उन्होंने हाथ में  

सपनों को खरीद लेने की ताकत 


पुराने सिक्कों को देख कर 

मां को याद आ जाते हैं पिता 

पंच पैसी या दस पैसी

चवन्नी अठन्नी या रूपया को देख 

पिता के संग यात्रा कर लेती है वह 


संदूकची में पड़े 

पुराने सिक्कों को देख 

पिता तो याद करती हैं मां 

वे धुंधली आंखों से पहचान जाती है उन्हें कि

कब, किस मौके पर दिए थे उन्होंने 

चवन्नी या अठन्नी 


पुराने सिक्के 

भले कोई मोल न हो उनका 

फिर भी बहुमूल्य हैं वे, अनमोल हैं वे। 




11 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28-9-21) को "आसमाँ चूम लेंगे हम"(चर्चा अंक 4201) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  2. वाह। बहुत सुन्‍दर। अन्‍तरतल को भीगो गई यह रचना।

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  3. जिनमें यादें नीहित हों वे अनमोल तो होंगे ही।
    बहुत सुन्दर सृजन।
    वाह!!!

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